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32 वर्षीय इंदू देवी टीबी का बेहतर इलाज करवा कर जी रही है सामान्य जिंदगी
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- Feb 27, 2021
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-शरीर के किसी हिस्से में गिल्टी होने पर तत्काल कराएं टीबी की जांच
- एक्स्ट्रा पल्मोनरी टीबी के तहत गिल्टी के रूप में हो सकता है ग्लैंड टीबी
- फाइंड निडिल एस्पेरेशन टेस्ट ( एफएनएसी) टेस्ट के जरिये की जाती है जांच
मुंगेर-
शरीर के किसी हिस्से में गिल्टी होने पर तत्काल टीबी की जांच करानी चाहिए | यह ग्लैंड टीबी हो सकता है । मालूम हो कि श्वसन तंत्र से अलग होने वाले सभी तरह के टीबी को एक्स्ट्रा पलमोनरी टीबी कहा जाता है।
32 वर्षीय इंदू देवी टीबी का बेहतर इलाज करवा कर जी रही है सामान्य जिंदगी :
बड़हिया लखीसराय (पाली) निवासी विनोद महतो की पत्नी इन्दू देवी ने बताया कि उसे एक गिल्टी हुआ था। इसके साथ ही बुखार, खांसी और सिरदर्द की भी परेशानी थी। इसके बाद उसने डॉक्टर के पास जाकर उन्हें अपनी परेशानी बताई तो उन्होंने इलाज करना शुरू कर दिया। यहां लगभग एक साल तक दवा खाने के बाद भी परेशानी दूर नहीं हुई तो उन्होंने आयुर्वेदिक दवाओं, घरेलू नुस्खों के साथ ही झारफूंक और जादू टोने का भी सहारा लेना शुरू कर दिया। बावजूद इसके परेशानी कम होने की जगह बढ़ती ही जा रही थी। इसके बाद परिवार वालों ने भागलपुर के एक प्राइवेट डॉक्टर से इलाज की सलाह दी। फिर अगले तीन महीने तक उनका इलाज भागलपुर के डॉक्टर के यहां जारी रहा| बावजूद इसके परेशानी कम नहीं हुई ।
फुफेरे भाई को मिली जानकारी तो जिला यक्ष्मा केंद मुंगेर में कराई टीबी की जांच :
इंदू देवी ने बताया कि मुंगेर में रहने वाले फुफेरे भाई को जब मेरी बीमारी के बारे में जानकारी मिली तो उन्होंने तत्काल मुझे मुंगेर लाकर जिला यक्ष्मा केंद्र मुंगेर में मेरी गिल्टी की जांच कराई तो पता चला कि मुझे ग्लैंड टीबी है। इसके बाद जिला यक्ष्मा केन्द्र मुंगेर से मुझे टीबी निःशुल्क दवाओं के साथ निक्षय पोषण योजना के तहत पोषक आहार लेने के लिए 500 रुपये की आर्थिक सहायता राशि भी मिलने लगी है। पिछले तीन महीने से टीबी का इलाज चलने के बाद मैं आज पूरी तरह से स्वस्थ्य हूँ।
जांच में ग्लैंड टीबी की पहचान के बाद परिवार, रिश्तेदार, पड़ोसियों के साथ ही अन्य लोगों का मिला पूरा सहयोग :
इन्दू देवी ने बताया कि जिला यक्ष्मा केंद्र मुंगेर जांच के बाद गिल्टी की ग्लैंड टीबी के रूप में पहचान होने के बाद परिवार वालों के साथ अपने रिश्तेदारों और आसपास रहने वाले लोगों का भी पूरा सहयोग मिला। किसी ने भी मेरे साथ भेदभावपूर्ण व्यवहार नहीं किया। अस्पताल में भी जांच और इलाज कर रहे डॉक्टर और अन्य मेडिकल स्टाफ का पूरा सहयोग मिला।
जिला यक्ष्मा केंद्र मुंगेर के जिला टीबी/ एचआईवी समन्वयक शलेन्दु कुमार ने बताया कि शरीर के किसी भी हिस्से में होने वाली गांठ में ग्लैंड टीबी हो सकता है। यह एक्स्ट्रा पल्मोनरी टीबी की श्रेणी में होता है। इसकी जांच ग्लैंड एफएनएसी फाइंड निडल अस्पेरेशन टेस्ट के जरिये की जाती है। इस जांच में ग्लैंड के बॉडी फ्लूड को किसी अनुभवी सर्जन के जरिये निकाल कर फिर उसकी सिविनेट या अन्य आवश्यक जांच की जाती है। जांच में ग्लैंड टीबी के लक्षण पाए जाने के बाद मरीज का सही तरीके से इलाज किया जाता है और एक निश्चित अवधि तक दवाइयां निःशुल्क उपलब्ध कराई जाती है। इसके साथ ही मरीज को पोषक आहार लेने के लिए निक्षय पोषक योजना से 500 रुपये प्रति माह के दर से दवाइयां चलने तक दी जाती है।
जिला यक्ष्मा केंद्र सहित जिले के सभी अस्पतालों पर उपलब्ध है ग्लैंड टीबी की जांच और इलाज की सुविधा :
उन्होंने बताया कि इसमें घबराने की कोई जरूरत नहीं है| अन्य टीबी कि तरह ग्लैंड टीबी की सही जांच और बेहतर इलाज की सुविधा जिला यक्ष्मा केंद्र मुंगेर सहित जिले के सभी अस्पताल और प्राथमिक स्वास्थ्यय केंद्रों पर निःशुल्क उपलब्ध है।
रिपोर्टर
The Reporter specializes in covering a news beat, produces daily news for Aaple Rajya News
Dr. Rajesh Kumar