पीरपैंती में टीबी मरीजों की पहचान को लगा कैंप

132 लोगों की जांच में 20 संदिग्ध मरीज मिले
 
सभी का बलगम लेकर जांच के लिए भेजा गया अस्पताल
 
भागलपुर, 6 मार्च
 
पीरपैंती के कामथ टोला में शनिवार को जिला यक्ष्मा केंद्र भागलपुर और वर्ल्ड हेल्थ पार्टनर के सहयोग से टीबी मरीजों की पहचान के लिए कैंप का आयोजन किया गया. कैंप में 132 लोगों की जांच की गई, जिसमें 20 संदिग्ध मरीज मिले. सभी को आगे की जांच और इलाज के लिए पीरपैंती रेफरल अस्पताल भेज दिया गया.
 
मरीजों की जांच करने वाले डॉ आरके सिन्हा ने कहा कि संदिग्ध मरीजों का बलगम संग्रह कर रेफरल अस्पताल भेज दिया गया कैंप में आए लोगों को टीबी के प्रति जागरूक किया गया. साथ ही यह भी बताया गया कि इस बीमारी का पूरी तरह से इलाज संभव हैं. इसलिए अगर लक्षण दिखे तो तत्काल जांच कराएं. जांच में अगर टीबी की पुष्टि हो तो तत्काल इलाज शुरू करवाएं. जल्द इलाज होने से टीबी जल्द खत्म हो जाएगा. साथ ही टीबी के मरीजों से भेदभाव भी नहीं करनी चाहिए, इसकी जानकारी लोगों को दी गई. मौके पर संतोष कुमार, गौतम कुमार, आशीष कुमार, धीरज कुमार और मनीष कुमार मौजूद थे.
 
दो हफ्ते से ज्यादा खांसी हो तो कराएं जांच: डॉ. सिन्हा ने बताया कि दो हफ्ते से ज्यादा लगातार खांसी हो और साथ में बलगम भी आ रहा हो तो तत्काल जांच कराएं. खांसी के साथ कभी-कभार खून भी आता है. भूख कम लगना, लगातार वजन कम होना, शाम या रात के वक्त बुखार आना, सर्दी में भी पसीना आना और सांस उखड़ना या सांस लेते हुए सीने में दर्द होना भी टीबी के लक्षण हैं. इस तरह की परेशानी आए तो तत्काल डॉक्टर के पास जाएं. इनमें से कोई भी लक्षण हो सकता है और कई बार कोई लक्षण नहीं भी होता है.
 
सराकीर अस्पतालों में मुफ्त में होता है इलाज: टीबी का इलाज पूरी तरह संभव है. सरकारी अस्पतालों में इसका मुफ्त में इलाज होता है. सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि इलाज पूरी तरह टीबी ठीक हो जाने तक चलना चाहिए. बीच में छोड़ देने से एमडीआर टीबी होने की आशंका रहती है, जिसका इलाज कठिन हो जाता है. निजी अस्पतालों में भी टीबी का इलाज महंगा नहीं है, इसलिए इलाज कराने में संकोच नहीं करें.
 
पौष्टिक भोजन पर दें जोर: टीबी का इलाज लंबा चलता है. छह महीने से लेकर दो साल तक का समय इसे ठीक होने में लग सकता है. सामान्य टीबी का इलाज छह महीने में हो जाता है, लेकिन एमडीआर टीबी खत्म होने में दो साल लग जाते है. इलाज के शुरुआती दौर में एहतियात बरतने की जरूरत हैं. साथ ही मरीज के इलाज के दौरान पौष्टिक भोजन पर जोर देना चाहिए. व्यायाम और योग करना चाहिए. इससे फायदा मिलता है

रिपोर्टर

  • Dr. Rajesh Kumar
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