- World Wide
- International
- National
- State
- Union Territory
- Capital
- Social
- Political
- Legal
- Finance
- Education
- Medical
- Science & Tech.
- Information & Tech.
- Agriculture
- Industry
- Corporate
- Business
- Career
- Govt. Policy & Programme
- Health
- Sports
- Festival & Astrology
- Crime
- Men
- Women
- Outfit
- Jewellery
- Cosmetics
- Make-Up
- Romance
- Arts & Culture
- Glamour
- Film
- Fashion
- Review
- Satire
- Award
- Recipe
- Food Court
- Wild Life
- Advice
छह माह के बाद स्तनपान के साथ अनुपूरक आहार है जरुरी
- by
- Mar 09, 2021
- 1597 views
बच्चों के संतुलित पोषण से बौनेपन में आयेगी कमी
लखीसराय / 9 मार्च :
बेहतर मातृ एवं शिशु पोषण सुनिश्चित कराना हमेशा से ही एक चुनौती रही है । मातृ एवं शिशुओं को कुपोषण के समस्या से बचाने के लिए बेहतर पोषण पे पर ध्यान देना उतना ही जरूरी है. जितना की एक शरीर के लिए शुद्ध हवा। संतुलित पोषण के आभाव में बच्चे बौनापन के शिकार हो सकते हैं. इसलिए शिशु के जन्म से ही उनके पोषण का ख्याल रखना जरुरी हो जाता है. एक घन्टे के भीतर स्तनपान, 6 माह तक केवल स्तनपान एवं 6 माह के बाद अनुपूरक आहार की शुरुआत करना जरुरी है.
डॉ. कुमारी पूजा( इनका पद लिखिए) बताती हैं सही और संतुलित पोषण न नहीं मिलने से बच्चे बौनेपन के शिकार हो जाते हैं। इसलिए प्रसव के एक घन्टे के भीतर ही शिशु को स्तनपान जरुर कराना चाहिए. इससे बच्चे की रोग प्रतिरोधक क्षमता का विकास होता है. जबकि शिशु जन्म के 6 महीने तक बच्चे को केवल स्तनपान ही कराना चाहिए. इस दौरान ऊपर से पानी भी शिशु को नहीं देना चाहिए.
छह माह के बाद स्तनपान के साथ अनुपूरक आहार है जरुरी : डॉ. कुमारी पूजा बताती हैं कि 6 माह के बाद बच्चों में शारीरिक एवं मानसिक विकास तेजी से शुरू हो जाता है. इसलिए 6 माह के बाद सिर्फ स्तनपान से जरुरी पोषक तत्त्व बच्चे को नहीं मिल पाता है. इसलिए छ्ह माह के उपरान्त अर्ध ठोस आहiर जैसे खिचड़ी, गाढ़ा दलिया, पका हुआ केलाएवं मूंग का दाल दिन में तीन से चार बार जरुर देना चाहिए. दो साल तक अनुपूरक आहार के साथ माँ का दूध भी पिलाते रहना चाहिए ताकि शिशु का पूर्ण शारीरिक एवं मानसिक विकास हो पाए. उन्होंने बताया कि उम्र के हिसाब से ऊँचाई में वांछित बढ़ोतरी नहीं होने से शिशु बौनेपन का शिकार हो जाता है. इसे रोकने के लिए शिशु को स्तनपान के साथ अनुपूरक आहार जरुर देना चाहिए.
जिला अपर मुख्य चिकित्सा पदाधिकारी डॉ देवेन्द्र चौधरी ने बताया पहले 1000 दिन नवजात के जीवन की सबसे महत्वपूर्ण अवस्था होती है जो कि महिला के गर्भधारण करने से ही प्रारम्भ हो जाते हैं. आरंभिक अवस्था में उचित पोषण नहीं मिलने से बच्चों का शारीरिक एवं बोद्धिक विकास अवरुद्ध हो सकता है जिसकी भरपाई बाद में नहीं हो पाती है. शिशु जन्म के बाद पहले वर्ष का पोषण बच्चों के मस्तिष्क और शरीर के स्वस्थ विकास और प्रतिरोधकता बढ़ाने में बुनियादी भूमिका निभाता है. शुरूआती के 1000 दिनों में बेहतर पोषण सुनश्चित होने से मोटापा और जटिल रोगों से भी बचा जा सकता है
डॉ चौधरी ने बताया गर्भावस्था के दौरान महिला को प्रतिदिन के भोजन के साथ आयरन और फॉलिक एसिड एवं केल्सियम की गोली लेना भी जरुरी है. एक गर्भवती महिला को अधिक से अधिक आहार सेवन में विविधता लानी चहिए. गर्भावस्था में बेहतर पोषण शिशु को भी स्वस्थ रखने में मदद करता है. गर्भावस्था के दौरान आयरन और फॉलिक एसिड के सेवन से महिला एनीमिया से सुरक्षित रहती है एवं इससे प्रसव के दौरान अत्यधिक रक्त स्त्राव से होने वाली जटिलताओं से भी बचा जा सकता है. वहीँ कैल्शियम का सेवन भी गर्भवती महिलाओं के लिए काफ़ी जरुरी है. इससे गर्भस्थ शिशु के हड्डी का विकास पूर्ण रूप से हो पाता है एवं जन्म के बाद हड्डी संबंधित रोगों से शिशु का बचाव भी होता है.
रिपोर्टर
The Reporter specializes in covering a news beat, produces daily news for Aaple Rajya News
Dr. Rajesh Kumar