अनुपूरक आहार की महता को ले आंगनबाड़ी केंद्रों पर सेविकाओं ने माताओं को किया जागरूक

 

- आरोग्य दिवस पर छह माह से अधिक उम्र के छोटे- छोटे बच्चों को कुपोषण से मुक्ति दिलाने की मुहिम  

- आंगनबाड़ी केंद्रों पर नवजात शिशु की माताओं को  छह महीने तक सिर्फ स्तनपान कराने की दी गई सलाह 

- पोषण पखवाडा में 16 से 31 मार्च तक सभी आंगनबाड़ी केंद्रों पर आयोजित किए गए विभिन्न कार्यक्रम 


मुंगेर, 31 मार्च | कुपोषण को लेकर बुधवार को जिले के सभी आंगनबाड़ी केन्द्रों पर नवजात शिशुओं की माताओं को सेविकाओं ने जागरूक किया| उन्हें छह महीने की उम्र के छोटे- छोटे बच्चों को कुपोषण से बचाने के लिए मां के स्तनपान के साथ ही अनुपूरक आहार की महता बताई गयी | अनुपूरक आहार के रूप में हल्का भोजन के तौर पर दलिया, खिचड़ी, सूजी का हलवा सहित अन्य पोषक तत्व देने की सलाह दी गयी । नवजात शिशु की  माताओं को शिशु के छह महीने की उम्र तक सिर्फ और सिर्फ स्तनपान कराने की सलाह दी गयी । समेकित बाल विकास सेवाएं ( आईसीडीएस ) मुंगेर की  जिला कार्यक्रम पदाधिकारी (डीपीओ) रेखा कुमारी ने बताया , प्रत्येक सप्ताह के बुधवार और शुक्रवार को जिले के सभी आंगनबाड़ी केंद्रों पर सेविका और सहायिका के द्वारा नवजात बच्चों की माताओं को शिशु के छह महीने के  होने तक सिर्फ और सिर्फ स्तनपान कराने और और छह महीने की उम्र पूरी कर लेने वाले बच्चों की माताओं को उन्हें कुपोषण से बचाने के लिए स्तनपान के साथ- साथ अनुपूरक आहार देने के लिए जागरूक किया जा रहा है। 

आंगनबाड़ी केंद्रों पर हर माह के 19 तारीख को अन्नप्राशन संस्कार का आयोजन किया जाता-

उन्होंने बताया  प्रत्येक महीने की  19 तारीख को छह महीने की  उम्र पूरी करने वाले बच्चों को मां के स्तनपान के साथ अनुपूरक आहार की  शुरुआत कराने के लिए जिले के सभी आंगनबाड़ी केंद्रों पर अन्नप्राशन संस्कार का आयोजन किया जाता है। उन्होंने बताया,  नवजात शिशु के जन्म से लेकर कम से कम छह महीने तक धातृ माताओं को सिर्फ और सिर्फ अपना स्तनपान ही कराना चाहिए। इस दौरन बच्चे को अलग से पानी देने की भी कोई आवश्यकता नहीं है क्योंकि मां के दूध में ही 80 प्रतिशत तक पानी मौजूद रहता है। इसके साथ ही छह महीने तक शिशु के सम्पूर्ण विकास के लिए सभी आवश्यक तत्व भी मां के दूध में ही मौजूद रहता है। बताया  छह महीने के बाद ही शिशु को मां के स्तनपान के साथ ही अन्य पोषक तत्वों की पूर्ति के लिए अनुपूरक आहार की आवश्यकता होती है। इसके लिए सभी धातृ माताओं को अपने स्तनपान के साथ ही शिशु को अनुपूरक आहार के रूप में हल्का खाना जैसे दलिया, खिचड़ी, खीर, सूजी का हलवा सहित अन्य खाद्य पदार्थ खिलानी  चाहिए।


पोषण पखवाडा  के तहत जिले के सभी आंगनबाड़ी केंद्रों सहित अन्य स्थानों पर आयोजित किए जा रहे हैं विभिन्न कार्यक्रम : 

उन्होंने बताया  जिले भर में अभी पोषण पखवाड़े  के तहत 16 से 31 मार्च तक सभी आंगनबाड़ी केंद्रों और अन्य स्थानों पर कई तरह के कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं। इसके तहत गृह भृमण के दौरान लोगों से मिलकर उन्हें पोषण के पांच सूत्र जैसे पहले हजार दिन एनीमिया, डायरिया से बचाव, स्वच्छता, हाथों की सफाई और पौष्टिक आहार के बारे में गर्भवती और धातृ महिलाओं को उचित सलाह देकर जागरूक किया जा रहा है। इसके साथ ही सभी आंगनबाड़ी केंद्रों पर 16 से 31 मार्च तक प्रत्येक लाभार्थी गर्भवती महिलाओं और 3 से 6 वर्ष तक बच्चों का वजन लेने के साथ ही उचित सलाह दी  जा रही है । सभी आगनबाड़ी केंद्रों पर बच्चों, महिलाओं एवं समुदाय में रहने वाले लोगों को सामान्य योगाभ्यास के लिए जागरूक करने के साथ ही सभी विद्यालयों में किशोर- किशोरियों के साथ पोषण चर्चा भी की जा रही है । 


उन्होंने  बताया  घर- घर आंगनबाड़ी ( फंडामेंटल लर्निंग एंड न्यूमेरेसी लिटरेसी) कार्यक्रम के अंतर्गत जिले के सभी आंगनबाड़ी केन्द्रों पर माताओं/ पालन कर्ताओं को नई पहल पाठ्यक्रम के तहत 3 से 6 वर्ष तक के बच्चों के सर्वांगीण  विकास के लिए बच्चों में सीखने के आधारभूत, भाषाई कौशल एवं संख्यात्मक योग्यता को बढ़ावा देने के लिए 16 से 20 मार्च तक गतिविधियों का प्रदर्शन किया गया।


रिपोर्टर

  • Dr. Rajesh Kumar
    Dr. Rajesh Kumar

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