परिवार नियोजन सुरक्षित है" के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए आंगनबाड़ी स्तर पर चल रहा है अभियान



-  जिले के सभी पीएचसी औऱ आंगनबाड़ी केंद्रों पर आरोग्य दिवस के दिन ई. रिक्शा के माध्यम से की जा रही है  माइकिंग

- 31 मार्च को मिशन परिवार विकास अभियान के समाप्त हो जाने के बाद भी लोगों को किया जा रहा है जागरूक 


मुंगेर-


 परिवार नियोजन के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए जिले भर में चल रहे मिशन परिवार एवं विकास अभियान के 31 मार्च को समाप्त हो जाने के बाद भी जिले के सभी आंगनबाड़ी केंद्रों पर महिलाओं और घर- घर जाकर नवदम्पतियों और अन्य विवाहित महिलाओं और पुरुषों को परिवार नियोजन के महत्व और आवश्यकता के बारे में जागरूक किया जा रहा है।  इसके साथ ही केयर इंडिया की टीम विभिन्न जिलों में ई. रिक्शा के माध्यम से आरोग्य दिवस के दिन सभी पीएचसी और आंगनबाड़ी केंद्रों पर माइकिंग कर लोगों को परिवार नियोजन के महत्व, जरूरत और साधनों के प्रति जागरूक करने जागरूक कर रही है। 

परिवार नियोजन के अस्थाई साधन अपनाने के लिए प्रेरित करने की आवश्यकता है -

जिला स्वास्थ्य समिति के जिला कम्युनिटी मोबेलाइज़र ( डीसीएम) निखिल राज ने बताया जिले में टोटल फर्टिलिटी रेट (टीएफआर) को 2.0 पर लाने के लिए आवश्यक है कि नव दम्पतियों को परिवार नियोजन के महत्व और जरूरत दोनों के प्रति जागरूक किया जाय। इसके तहत नवदम्पतियों सहित सभी दम्पतियों को सही समय पर बच्चा पैदा करने और दो बच्चों के बीच कम से कम तीन साल का अंतर रखने के लिए परिवार नियोजन के अस्थाई साधन अपनाने के लिए प्रेरित करने की आवश्यकता है| ताकि बच्चों को सही पोषण, स्वास्थ्य, शिक्षा और जीवन स्तर मिल सके। उन्होंने बताया परिवार नियोजन दाम्पत्य जीवन को सपोर्ट करने, पर्यावरण संरक्षण, एचआईवी/ एड्स जैसी बीमारियों को कम करने, गरीबी को कम करने, शिक्षा को बढ़ावा देने, महिलाओं को मजबूत बनाने, स्वास्थ्य को बेहतर करने के साथ ही मातृत्व स्वास्थ्य को बेहतर बनाने के लिए बहुत ही आवश्यक है। 


केयर इंडिया की फैमिली प्लानिंग कोर्डिनेटर ( एफपीसी) तस्नीम रज़ी ने बताया, परिवार नियोजन की राह में अभी भी कई बाधाएं हैं| जैसे लड़की का कम उम्र में शादी होना, दम्पतियों द्वारा परिवार नियोजन के अस्थाई साधनों का कम उपयोग करना, महिलाओं को प्रजनन पर निर्णय का अधिकार नहीं होना, लोगों के मन में परिवार नियोजन के प्रति कई प्रकार की भ्रांतियों का होना और परिवार नियोजन में पुरुषों की सहभागिता में कमी होना प्रमुख है। उन्होंने बताया, आंगनबाड़ी केंद्रों पर ई. रिक्शा के माध्यम से लोगों को परिवार नियोजन की आवश्यकता के बारे में बताते हुए महिलाओं को दो बच्चों में अंतराल के लिए अस्थाई विधि के उपयोग के लिए प्रेरित किया जा रहा है।  इसके साथ ही परिवार नियोजन में पुरुषों की सहभागिता को बढ़ाने, सही उम्र में शादी और फिर उसके बाद सोच- समझ कर बच्चे की प्लानिंग के लिए प्रेरित किया जा रहा है। उन्होंने बताया , महिलाओं को अपने स्वास्थ्य के प्रति सजग करने के साथ ही यह समझ भी विकसित कराना है कि परिवार नियोजन सुरक्षित है। 

परिवार नियोजन कार्यक्रम के तहत कुछ अन्य गतिविधियां भी-

उन्होंने बताया, परिवार नियोजन कार्यक्रम के तहत कुछ अन्य गतिविधियां भी चल रही हैं जैसे ,

- फिक्स डे सर्विसेज 

- आदर्श दम्पति योजना

- गर्भ निरोधक साधन का वितरण 

- नई पहल किट का वितरण 

- सास बहू सम्मेलन 

 परिवार नियोजन के प्रति दम्पतियों को जागरूक करने के उद्देश्य से 'आशा टेक अवे' के नाम से एक कार्यक्रम चलाया जा रहा है । इसके तहत घर- घर जाकर आशा कार्यकर्ता, एएनएम और सेविका केयर इंडिया की टीम के साथ नवदम्पतियों सहित अन्य दम्पत्तियों से मिलकर दो बच्चों में अंतर रखने के लिए परिवार नियोजन के साधन अपनाने के लिए जागरूक कर रही हैं । इसके साथ ही इनलोगों के द्वारा परिवार नियोजन के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए जागरूकता रैली भी निकाली जाती है। उन्होंने बताया, सभी आरोग्य दिवस के दिन सभी पीएचसी और आंगनबाड़ी केंद्रों पर आशा कार्यकर्ता सामूहिक रूप से महिलाओं को परिवार नियोजन के महत्व और जरूरत के साथ ही इसके लिए अस्थाई साधनों के इस्तेमाल के प्रति भी जागरूक कर रही हैं । इस कार्यक्रम के तहत दम्पतियों को बास्केट ऑफ च्वाइस की भी जानकारी दी जाती है| जिसमें महिलाओं के लिए महिला बंध्याकरण, कॉपर टी, माला एन, ईसी - पिल, अंतरा गर्भनिरोधक गोली और छाया साप्ताहिक गोली के साथ ही पुरुषों के लिए पुरुष नसबंदी और कंडोम के इस्तेमाल करने की जानकारी दी जाती है।

रिपोर्टर

  • Dr. Rajesh Kumar
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    The Reporter specializes in covering a news beat, produces daily news for Aaple Rajya News

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