खगड़िया जिले में कोविड-19 के गाइडलाइन के पालन के साथ मनाया गया अन्नप्राशन



- छः माह के ऊपर के बच्चों का अन्नप्राशन, पौष्टिक आहार के महत्व की दी गई जानकारी

- जिले के सभी ऑगनबाड़ी केंद्रों पर गृह भ्रमण कर आयोजन, कोविड-19 से बचाव को भी किया गया जागरूक


खगड़िया, 19 जून-


 शनिवार को जिले के सभी प्रखंडों में कोविड-19 गाइडलाइन के पालन के साथ अन्नप्राशन कार्यक्रम का आयोजन हुआ। इस दौरान जिले की सभी सेविका अपने-अपने पोषक क्षेत्र के गृह भ्रमण कर लाभार्थी के घर जाकर छः माह की उम्र पार करने वाले बच्चों को अन्नप्राशन कराया और बच्चे की माँ को बच्चे के 6 माह के बाद ऊपरी आहार की विशेषता बताते हुए अन्नप्राशन के महत्व की विस्तार से जानकारी दी गई। ताकि बच्चे के स्वस्थ शरीर का निर्माण हो सके। वहीं, बच्चों के सर्वांगीण शारीरिक और मानसिक विकास के लिए उचित पोषण की जानकारी दी गई और कुपोषण मुक्त समाज निर्माण को लेकर जागरूक किया गया। जिसमें बताया गया कि कुपोषण को मिटाने के लिए उचित पोषण बेहद जरूरी है। इसलिए, सरकार द्वारा इस तरह के कार्यक्रम का आयोजन कर उचित पोषण के लिए जागरूक किया जा रहा है। दरअसल, कुपोषण मुक्त समाज निर्माण की दिशा में सरकार पूरी तरह सजग और कटिबद्ध है। 


- अन्नप्राशन के साथ दो वर्षों तक स्तनपान भी जरूरी : 

आईसीडीएस जिला कार्यक्रम पदाधिकारी नीना सिंह ने बताया , इस दौरान मौजूद बच्चों की माँ को बच्चे के  स्वस्थ शरीर निर्माण को लेकर आवश्यक जानकारियाँ दी गई। जिसमें बताया गया कि बच्चों को अन्नप्राशन के साथ कम से कम दो वर्षों तक स्तनपान भी कराएं  और छः माह तक सिर्फ स्तनपान ही कराएं । तभी बच्चे का स्वस्थ शरीर निर्माण हो पाएगा। इसके अलावा  6 माह से ऊपर के बच्चों के अभिभावकों को बच्चों के लिए पूरक आहार की जरूरत के विषय में जानकारी दी गयी। 6 माह से 9 माह के शिशु को दिन भर में  200 ग्राम सुपाच्य मसला हुआ खाना, 9 से 12 माह में 300 ग्राम मसला हुआ ठोस खाना, 12 से 24 माह में 500 ग्राम तक खाना खिलाने की सलाह दी गयी। इसके अलावा अभिभावकों को बच्चों के दैनिक आहार में हरी पत्तीदार सब्जी और पीले नारंगी फल को शामिल करने की बात बताई गयी।चावल, रोटी, दाल, हरी सब्जी, अंडा एवं अन्य खाद्य पदार्थों की पोषक तत्वों के विषय में चर्चा कर अभिभावकों को इसके विषय में जागरूक किया गया। 


- पौष्टिक आहार की महत्ता की दी गई जानकारी :-

परबत्ता सीडीपीओ कामिनी कुमारी ने बताया , शिशु के जन्म के एक घंटे के भीतर मां का गाढ़ा-पीला दूध बच्चे की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है। अगले छह माह तक केवल मां का दूध बच्चे को कई गंभीर रोगों से सुरक्षित रखता है। 6 माह के बाद बच्चे का शारीरिक एवं मानसिक विकास काफी तेजी से होता है। इस दौरान स्तनपान के साथ ऊपरी आहार की काफी जरूरत होती है। घर का बना मसला व गाढ़ा भोजन ऊपरी आहार की शुरुआत के लिए जरूरी होता है। 


- कोविड-19 संक्रमण वायरस से बचाव को लेकर भी किया गया जागरूक :- 

एनएनएम के जिला समन्वयक अंबुज कुमार ने बताया, इस दौरान लाभार्थी एवं उनके परिजनों को कोविड-19 संक्रमण वायरस से बचाव को लेकर भी जागरूक किया गया। जिसमें मास्क का उपयोग, शारीरिक का दूरी का पालन, हाथों को हमेशा साफ रखने, लक्षण महसूस होने पर कोविड-19 जाँच कराने आदि जानकारी दी गई। साथ ही योग्य व्यक्तियों को वैक्सीनेशन कराने के लिए भी प्रेरित किया गया। ताकि संक्रमण के बढ़ते प्रभाव पर रोक लगाया जा सकें। 


 - इन बातों का रखें ख्याल : - 

- 6 माह बाद स्तनपान के साथ अनुपूरक आहार शिशु को दें।

- स्तनपान के अतिरिक्त दिन में 5 से 6 बार शिशु को सुपाच्य खाना दें।

- शिशु को मल्टिंग आहार (अंकुरित साबुत आनाज या दाल को सुखाने के बाद पीसकर) दें।

- माल्टिंग से तैयार आहार से शिशुओं को अधिक ऊर्जा प्राप्त होती है।

- शिशु यदि अनुपूरक आहार नहीं खाए तब भी थोड़ा-थोड़ा करके कई बार खिलाएं।


- इन मानकों का रखें ख्याल, कोविड-19 संक्रमण से रहें दूर :- 

- व्यक्तिगत स्वच्छता और दो गज की शारीरिक-दूरी का रखें ख्याल।

- बार-बार हाथ धोने की आदत डालें। 

- साबुन या अन्य अल्कोहल युक्त पदार्थों से हाथ धोएँ।

- मास्क और सैनिटाइजर का नियमित रूप से उपयोग करें।

- भीड़-भाड़ वाले जगहों से परहेज करें।

- ऑख, नाक, मुँह को अनावश्यक छूने से बचें।

रिपोर्टर

  • Dr. Rajesh Kumar
    Dr. Rajesh Kumar

    The Reporter specializes in covering a news beat, produces daily news for Aaple Rajya News

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