कीस डीम्ड विश्वलिद्यालय का प्रथम दीक्षांत समारोह


अच्युत सामंत

मैं बहुत आभारी और खुशी महसूस करता हूं जब मैं अतीत को याद करता हूं, कलिंग इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज (KISS) जो कुछ सालों पहले एक छोटा सा पौधा था, आज एक विशाल पेड़ बन गया है, जो सभी को अपनी छाया दे रहा है और अपनी जड़ों को गहरी बनाकर लाखों लोगों के लिए विशाल शामियाना बन गया है।


फोनिक्स की तरह विकसित

यह एक सपने के सच होने की कहानी है। ऐसा सपना जिसने 1992-93 में 125 छात्रों को लेकर उड़ान भरी और फोनिक्स की तरह विकसित हुआ। यह परिवर्तन का एक ऐसा प्रेरक कहानी है जो अब वास्तव में मेरी कल्पना से परे हो चुका है।


एक सामान्य व्यक्ति होने के नाते, जब मैने KISS की स्थापना की, तब मैरे अंदर विश्वास था लेकिन मैने कभी कल्पना नहीं की थी कि इसका विकास अत्यंत घातीय, प्रभावी और आदिवासी लड़के-लड़कियों की शिक्षा के पैटर्न में क्रांतिकारी बदलाव होगा. KISS ने कभी अपना मूल विश्वास- शिक्षा सशक्त बनाती है, नहीं छोड़ा।


अपने 3E फर्मुला- एनैबल, एजुकेट और एम्पॉवर पर ध्यान केंद्रित करने वाला KISS एक आवासीय शैक्षिक संस्थान है जहां नि:शुल्क शिक्षा, आवास, सेवास्थ्य सेवा, व्यावसायिक, 60,000 स्वदेशी बच्चों को खेल और कला का प्रशिक्षण प्रदान करता है। 


इस संस्थान के छात्र अपने ही क्षेत्र के 62 विभिन्न जनजातीय समुदायों से हैं, जिनमें से 13 तो विशेष रूप से कमजोर जनजातीय समुह (PVTGs) से हैं। इनमें से 30,000 छात्र भुवनेश्वर स्थित मुख्य परिसर में पढ़ते हैं।


अब एक मील का पत्थर

इस संस्थान का मजबूत एलुम्नी आधार है, जिसमें 30,000 सशक्त लड़के-लड़कियां शामिल हैं और जल्द ही 10,000 से अधिक विद्यार्थी ओडिशा में KISS के 10 सैटेलाइट सेंटरों में शिक्षा लेंगे। KISS ने अप्रत्यक्ष रूप से करोड़ों जनजातीय बच्चों और युवाओं को प्रभावित किया है, जो जनजातीय बच्चों के इतिहास में यह अपने में एक मील का पत्थर है, उन बच्चों के लिए जिन्होंने अपने पुराने पिछड़ेपन से छुटकारा पाकर अब यहां हैं. 


सशक्तिकरण का साधन

शिक्षा व्यवस्था में जहां पढ़ाई छोड़ने की समस्या एक संकट बना हुआ है, वहीं, KISS अपने 30 से अधिक सालों के अस्तित्व के दौरान पढ़ाई छोड़ने, बाल विवाह, लिंग उत्पीड़न, वामपंथी उग्रवाद, धर्मांतरण, अनदेखी और अंधविश्वास को अपनी शिक्षा और सशक्तिकरण के माध्यम से बड़े पैमाने पर दूर करने का प्रयास किया है।


संस्थान ने शिक्षा के महत्व, लड़की के सशक्तिकरण, कुशल बनाने और व्यावसायिक सशक्तिकरण, उद्यमशीलता पर जागरूकता बढ़ाया। साथ ही जनजातीय समुदायों के सहयोग से KISS ने उन्हें पारिस्थितिकी तंत्र, प्रकृति का असल रखवाला बनाया।


नई वैश्विक ऊंचाइयों को छूना

अपने अप्राप्य रिकार्ड के लिए, 2017 में KISS प्रथम अनन्य आदिवासी डीम्ड टू बी यूनिवर्सिटी बना जो कि तत्कालीन मानव संसाधन विकास मंत्रालय, भारत सरकार की ओर से प्रदान किया गया.

अपने विकास के साथ, मैं हमेशा से KISS की संस्थान के रूप में विश्वसनीयता बढ़ाने के लिए इसे विश्वविद्यालय की मान्यता के प्रति आकांक्षी रहा और आदिवासी विद्वानों द्वारा आदिवासी अध्ययन के लिए शौध के प्रति प्रतिबद्ध हूं।


2015 में KISS को एक नई ऊंचाई मिली, जब संस्थान को अंतरराष्ट्रीय मान्यता और समर्थन मिला। 2015 से संस्थान को UN-ECOSOC द्वारा विशेष सलाहकार का दर्जा प्राप्त है।


इसके बाद रिकार्ड विकास के साथ संस्थान ने खुद को शीर्ष संस्थानों के बीच पाया. संस्थान ने कई यूएन एजेंसियां और निकायों जैसे UNFPA, UNEP, UNDP, UNICEF, UN Women, US Consulate और विभिन्न क्षमता-निर्माण परियोजनाओं और इसके कार्यान्वयन के सहयोग से काम किया है।


ज्ञान का गंतव्य

KISS का दौरा करने वाले नोबल पुरस्कार विजेता, कानूनी दिग्गज, शिक्षाविदों, नीति निर्माताओं, स्टेट्समैन, लेखक और मशहूर हस्तियों के सामने संस्थान ने अपनी उपलब्धियां खुद ही बयां की और प्रशंसा बटौरी है। साथ ही KISS ने भी मानव सेवा के लिए पुरुषों और महिलाओं को पुरस्कृत करने के लिए KISS Humanitarian Award की शुरुआत की है।


KISS जल्द ही गंतव्य बन जाएगा और यह नई ऊंचाइयों में नजर आएगा। KISS अपनी उपलब्धियों के साथ आकर्षण का केंद्र बना और KISS डीम्ड विश्वविद्यालय में बहु प्रतिष्ठित पैनल जुड़ गया।


श्री सत्य एस त्रिपाठी कुलाधिपति के रूप में शामिल हुए हैं। वह संयुक्त राष्ट्र के पूर्व सहायक महासचिव और संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (UNEP) के न्यूयॉर्क कार्यालय के प्रमुख थे।


पैनल में अन्य विशिष्ट सदस्य हैं - प्रो-चांसलर के रूप में डॉ उपेंद्र त्रिपाठी, आईएएस (सेवानिवृत्त), कुलपति के रूप में डॉ दीपक बेहरा, प्रो-वाइस चांसलर डॉ पीतबास साहू, महानिदेशक डॉ कान्हू चरण माहाली। उनके कार्यकाल के दौरान, KISS डीम्ड विश्वविद्यालय निश्चित रूप से छात्र उपलब्धियों, शोध, सहयोग और अकादमिक उत्कृष्टता के मामले में नई ऊंचाइयों को प्राप्त कर सकेगा।


प्रथम हमेशा प्रथम और खास होता है। इसलिए KISS डीम्ड विश्वविद्यालय का पहला दीक्षांत समारोह 27 जून 2021 को होने जा रहा है। यह समारोह Covid -19 प्रोटोकॉल को ध्यान में रखकर हाईब्रिड मोड- फिजिकल और वर्चुअल तरीके से आयोजित होगा। 143 छात्रों को अपने स्नातकोत्तर और एम.फिल पाठ्यक्रम को सफलतापूर्वक पूरा करने के लिए डिग्री प्रदान की जाएगी। समारोह में प्रतिभाशाली और सबसे होनहार स्नातकों को संस्थापक स्वर्ण पदक, चांसलर स्वर्ण और कुलपति के रजत पदक से सम्मानित किया जाएगा।


वर्चुअल समारोह में ओडिशा के महामहिम राज्यपाल, सबसे मिलनसार व्यक्ति प्रो. गणेशी लाल प्रमुख रूप से उपस्थित रहेंगे जिन्हें KISS डीम्ड विश्वविद्यालय के पहले दीक्षांत समारोह में मानद सम्मान से सम्मानित किया जाएगा।

अन्य मानद उपाधि प्राप्त करने वालों में श्री गिरीश चंद्र मुर्मू, भारत के नियंत्रक और महालेखा परीक्षक, स्वरूप रंजन मिश्र, केन्या के केसेस निर्वाचन क्षेत्र के सांसद और श्री बिभु महापात्र, फैशन डिजाइनर और कॉस्ट्यूम डिजाइनर, न्यूयॉर्क शामिल हैं।

इस ऐतिहासिक अवसर पर, मैं KIIT के सभी हितधारकों को उनके अथक समर्थन के लिए हार्दिक आभार व्यक्त करता हूं। मैं KISS के शुभचिंतकों को उनके प्यार, स्नेह और विश्वास के लिए धन्यवाद देना चाहता हूं। KIIT और KIIS के छात्रों और कर्मचारियों को उनके अथक प्रयास के लिए आभार जताना चाहता हूं।


एक अंतहीन क्रांति

KISS जो एक विचार के रूप में शुरू हुआ और एक क्रांति में तब्दील हो गया, हमेशा से वैश्विक समस्या का स्थानीय समाधान निकाला है। हम KISS डीम्ड विश्वविद्यालय को जनजातीय संबंधी समस्याओं को महत्व देने, अकादमिक बहस, विचार-विमर्श और आदिवासी नीतियों, कानूनों, संस्कृति और महत्व को प्राथमिकता देने के लायक बना रहे हैं।

और जैसा कि अर्नेस्ट हेमिंग्वे ने कहा है, 'अपने साथियों से श्रेष्ठ होने में कोई महानता नहीं है; सही बड़प्पन स्वयं को बेहतर बनाने में है।' KISS डीम्ड विश्वविद्यालय हमेशा आगे बढ़ता रहेगा और उत्कृष्टता की दिशा में अपने प्रयास में सब विनम्रता के साथ बेहतर बनता रहेगा।

- संस्थापक, KISS & KIIT


रिपोर्टर

  • Dr. Rajesh Kumar
    Dr. Rajesh Kumar

    The Reporter specializes in covering a news beat, produces daily news for Aaple Rajya News

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