टीबी नहीं रही छुआछूत की बीमारी


लक्षण दिखाई पड़े तो नजदीकी अस्पताल में जाकर जांच कराएं

जांच में टीबी की पुष्टि हो जाती है तो दवा का सेवन शुरू कर दें 


भागलपुर, 26 जुलाई-


 टीबी अब छुआछूत की बीमारी नहीं रही। इसलिए अगर किसी में टीबी के लक्षण दिखे तो उसे देखकर भागे  नहीं, बल्कि नजदीकी सरकारी अस्पताल में ले जाकर उसकी जांच कराएं। जांच में अगर टीबी होने की पुष्टि हो जाती है तो उसका तत्काल इलाज कराएं। टीबी की दवा का कोर्स पूरा करने पर यह बीमारी जड़ से छूट जाएगी। इलाज नहीं कराएंगे तो उस व्यक्ति से दूसरों में भी टीबी होने का खतरा रहता है। यह बात सोमवार को भीखनपुर छोटी मस्जिट के इमाम हैदर अली ने कही। वह स्वास्थ्य विभाग की टीम के साथ कर्नाटका हेल्थ प्रमोशन ट्रस्ट (केएचपीटी) और केयर इंडिया की टीम के सदस्यों से मुखातिब थे। जनआंदोलन थीम के तहत अभी स्वास्थ्य विभाग स्थानीय धर्मगुरुओं और जनप्रतिनिधियों के जरिये लोगों को टीबी के प्रति जागरूक कर रहा है। इसी कड़ी में यह अभियान चल रहा है। इमाम ने बताया कि धार्मिक प्रतिनिधि होने के नाते मेरी जिम्मेदारी बन जाती है कि मैं लोगों को टीबी या अन्य दूसरी बीमारियों के प्रति जागरूक करूं। मेरे पास काफी संख्या में लोग आते हैं, जिन्हें में बीमारियों के प्रति जागरूक कर रहा हूं। इसका लोगों पर असर भी पड़ रहा है। 

सरकारी अस्पताल में टीबी के इलाज की मुफ्त व्यवस्थाः

 दरअसल, टीबी उन्मूलन को लेकर सरकार गंभीर है। इसी के तहत टीबी की जांच से लेकर इलाज तक की सुविधा मुफ्त है। साथ ही पौष्टिक भोजन करने के लिए टीबी मरीज को पांच सौ रुपये महीने छह महीने तक मिलता भी है। इसलिए अगर कोई आर्थिक तौर पर कमजोर भी है और उसमें टीबी के लक्षण दिखे तो उसे घबराना नहीं चाहिए। नजदीकि सरकारी अस्पताल में जाकर जांच करानी चाहिए। दो सप्ताह तक लगातार खांसी होना या खांसी में खून निकलने जैसे लक्षण दिखे तो तत्काल सरकारी अस्पताल जाना चाहिए।

बीच में दवा नहीं छोड़ेः 

टीबी की दवा आमतौर पर छह महीने तक चलती है। कुछ पहले भी ठीक हो जाते हैं और कुछ लोग थोड़ा अधिक समय भी लगता है। इसलिए जब तक टीबी की बीमारी पूरी तरह ठीक नहीं हो जाए, तब तक दवा का सेवन छोड़ना नहीं चाहिए। बीच में दवा छोड़ने से एमडीआर टीबी होने का खतरा बढ़ जाता है। अगर कोई एमडीआर टीबी की चपेट में आ जाता है तो उसे ठीक होने में डेढ़ से दो साल लग जाते हैं। इसलिए टीबी की दवा बीच में नहीं छोड़ें। जब तक आप पूरी तरह से ठीक नहीं हो जाते हैं तब तक दवा खाते रहें।   

टीबी का एक मरीज 10 लोगों को कर सकता है संक्रमितः 

सीडीओ डॉ दीनानाथ कहते हैं कि टीबी की बीमारी को हल्के में नहीं लेना चाहिए। एक टीबी का मरीज साल में 10 से अधिक लोगों को संक्रमित कर सकता है और फिर आगे वह कई और लोगों को भी संक्रमित कर सकता है, इसलिए लक्षण दिखे तो तत्काल इलाज कराएं। टीबी का अगर आप इलाज नहीं कराते हैं तो इस  बीमारी का  एक के जरिए कई लोगों में  प्रसार हो सकता है। अगर एक मरीज 10 लोगों को संक्रमित कर सकता है तो फिर वह भी कई और लोगों को संक्रमित कर देगा। इसलिए हल्का सा लक्षण दिखे तो तत्काल जांच कराएं और जांच में पुष्टि हो जाती है तो इलाज कराएं। डॉ दीनानाथ ने कहा कि टीबी अब छुआछूत की बीमारी नहीं रही। इसे लेकर लोगों को अपना भ्रम तोड़ना होगा। टीबी का मरीज दिखे तो उससे दूरी बनाने के बजाय उसे इलाज के लिए प्रोत्साहित करना होगा। इससे समाज में जागरूकता बढ़ेगी और जागरूकता बढ़ने से इस बीमारी पर जल्द काबू पा लिया जाएगा। ऐसा करने से कई और लोग भी इस अभियान में जुड़ेंगे और धीरे-धीरे टीबी  समाप्त हो जाएगा।

रिपोर्टर

  • Dr. Rajesh Kumar
    Dr. Rajesh Kumar

    The Reporter specializes in covering a news beat, produces daily news for Aaple Rajya News

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