बदलते मौसम में जलजनित बीमारी एवं डायरिया से रहें सावधान



- बच्चों को डायरिया सहित अन्य जलजनित बीमारियों से बचाने के लिए प्रदूषित भोजन एवं जल से करें परहेज 

- पेट मरोड़ व दर्द के साथ दस्त व उल्टी है डायरिया की पहचान


मुंगेर -


  मौसम में तेजी से हो रहे बदलाव के बीच जलजनित बीमारियों जैसे दस्त , उल्टी, डायरिया जैसी बीमारियों के होने की संभावना काफी बढ़ जाती है। कोरोना की संभावित तीसरी लहर के साथ अन्य जल जनित बीमारियों खासकर डायरिया के होने की संभावना काफी बढ़ गई है। | कोरोना वायरस के संक्रमण से बचने के लिये ज्यादातर लोग इन दिनों अपने- अपने घरों में ही हैं | ऐसे में जरूरी है कि आवश्यक सावधानी बरतने के साथ ही घर-घर में दवाइयों का उचित प्रबंधन कर लिया जाये  ताकि डायरिया की वजह से  अनावश्यक रूप से परेशान होने से बचा जा सके । मालूम हो कि डायरिया के मामले अधिकांशत: गर्मियों में खासकर बरसात के दिनों में काफी बढ़ जाते हैं । यह बीमारी किसी भी आयु वर्ग के व्यक्ति को हो सकती  है। थोड़ी  भी लापरवाही बरतने पर यह समस्या विशेष तौर पर शारीरिक रूप से कमजोर लोगों जैसे बुजुर्ग व बच्चों में अधिक गंभीर हो जाती  है ।

डायरिया  होने का प्रमुख कारण  

बैक्ट्रीरिया और वायरस से होने वाला संक्रमण है : 

जिला के सिविल सर्जन डॉ. हरेन्द्र आलोक ने बताया कि गर्मी और बरसात के दिनों में डायरिया के साथ- साथ अन्य जलजनित बीमारियों के होने का संभावना ज्यादा होता है। कमजोर रोग प्रतिरोधक क्षमता वाले बच्चों एवम बुजुर्गों को डायरिया से प्रभावित होने का खतरा ज्यादा रहता है। डायरिया मुख्य रूप से प्रदूषित खानपान, बासी भोजन, साबुन से हाथ नहीं धोना, साफ पेयजल का इस्तेमाल नहीं करने की वजह से होता हैं। डायरिया होने पर पेट में मरोड़ व दर्द के साथ दस्त व उल्टी होती है । कभी कभी मल में खून या म्यूकस भी आने की शिकायत होती है। डायरिया पीड़ित को इस दौरान तेज बुखार, सिरदर्द और हाथ व पेरों में दर्द होता है| दस्त के कारण शरीर में पानी की कमी हो जाती है इसलिए मरीज को तरल पदार्थ जरूर दिया जाना चाहिए ।  

शरीर में पानी की कमी के लक्षणों की ऐसे करें पहचान :

गला सूखना व मुंह में सूखापन ।

कमजोरी और सुस्ती का एहसास ।

गाढ़े रंग का पेशाब होना ।

बहुत कम पेशाब होना ।

प्यास लगना ।


जब शरीर में पानी की कमी हो निम्न तरीका अपनायें : 

पर्याप्त मात्रा में पानी पीयें ।

नारियल पानी पीना लाभप्रद है ।

ओआरएस का इस्तेमाल करें। 

चिकित्सक की सलाह से आवश्यक दवाई लें ।

पानी को उबाल कर ठंडा कर लें और पीयें । 

अधपके खाद्य पदार्थों, कटे और खुले फलों से परहेज।

फलों व सब्जियों को अच्छी तरह धो कर इस्तेमाल।  


डायरिया से नवजात व छोटे बच्चों को बचाने के लिए इस तरह रखें ध्यान :

नवजात व दूध पीते छोटे बच्चों में डायरिया की समस्या की रोकथाम के लिए उनका नियमित स्तनपान कराया जाना जरूरी है । इसके अलावा इन उपायों का पालन कर  बच्चों को रख सकते हैं सुरक्षित : 

ओआरएस का घोल बना कर छोटे छोटे घूंट में पिलायें ।

वॉशरूम के इस्तेमाल के बाद मां साबुन से हाथ धोएं ।

बच्चे के नियमित स्तनपान व संतुलित आहार का ध्यान रखें ।

होने पर नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र ले जायें । 


सदर अस्पताल मुंगेर 16 बेड वाले पुरुष मेडिकल वार्ड को बनाया गया है आइसोलेशन वार्ड : 

सिविल सर्जन डॉ. हरेन्द्र आलोक ने बताया कि जिला के बाढ़ प्रभावित क्षेत्र से बाढ़ का पानी निकलने के बाद जलजनित बीमारियों खासकर डायरिया के मरीजों की संख्या में होने वाले संभावित इजाफा को देखते हुए सदर अस्पताल मुंगेर स्थित 16 बेड के पुरुष मेडिकल वार्ड को आइसोलेशन वार्ड बनाया गया है जहां उल्टी, दस्त और डायरिया के मरीजों का इलाज किया जा रहा है। मरीजों के लिए बेड की समस्या न हो  इसके लिए वार्ड के बरामदे में भी अलग से 10 बेड का व्यवस्था किया गया है। इसके साथ ही जिला के सभी सीएचसी, पीएचसी, एपीएचसी के साथ -साथ सभी स्वास्थ्य केंद्रों पर जलजनित बीमारियों से संबंधित दवाइयां उपलब्ध करा दी गई है। इसके साथ ही जिले के बाढ़ प्रभावित क्षेत्र के सीएचसी /पीएचसी को ब्लीचिंग पावडर व चूना उपलब्ध कराते हुए प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी को छिड़काव शुरू कराने का निर्देश दिया गया है। ग्रामीण स्तर पर आशा कार्यकर्ता एवं आंगनबाड़ी सेविका-सहायिका के माध्यम से डायरिया से बच्चों सहित अन्य लोगों को बचाने के लिए ओआरएस का घोल और जिंक की टैबलेट भी उपलब्ध कराया जा रहा है। सभी लोग इनसे सम्पर्क कर खुद के साथ-साथ अपने बच्चों और पूरे परिवार को डायरिया से सुरक्षित कर सकते हैं।

रिपोर्टर

  • Dr. Rajesh Kumar
    Dr. Rajesh Kumar

    The Reporter specializes in covering a news beat, produces daily news for Aaple Rajya News

    Dr. Rajesh Kumar

संबंधित पोस्ट