- World Wide
- International
- National
- State
- Union Territory
- Capital
- Social
- Political
- Legal
- Finance
- Education
- Medical
- Science & Tech.
- Information & Tech.
- Agriculture
- Industry
- Corporate
- Business
- Career
- Govt. Policy & Programme
- Health
- Sports
- Festival & Astrology
- Crime
- Men
- Women
- Outfit
- Jewellery
- Cosmetics
- Make-Up
- Romance
- Arts & Culture
- Glamour
- Film
- Fashion
- Review
- Satire
- Award
- Recipe
- Food Court
- Wild Life
- Advice
टीबी मरीजों की पहचान को लेकर जीविका दीदियों को दिया गया प्रशिक्षण
-नवगछिया में स्वास्थ्य विभाग के सहयोग से केएचपीटी ने दिया प्रशिक्षण
-क्षेत्र की जीविका दीदियों को टीबी के लक्षण के बारे में दी गई जानकारी
भागलपुर, 24 दिसंबर।
2025 से पहले भागलपुर को टीबी से मुक्त करने को लेकर स्वास्थ्य विभाग का अभियान जारी है। इसी सिलसिले में गुरुवार को नवगछिया के कदम संकुल स्तरीय संघ तेतरी में स्वास्थ्य विभाग के सहयोग से कर्नाटका हेल्थ प्रमोशनल ट्रस्ट (केएचपीटी) की ओर से जीविका दीदियों को टीबी मरीजों की पहचान को लेकर प्रशिक्षण दिया गया। केएचपीटी के राज्य प्रमुख सौरव आनंद और जिला प्रमुख आरती झा ने जीविका दीदियों को क्षेत्र में भ्रमण के दौरान टीबी मरीजों की पहचान कैसे करनी है, इसका प्रशिक्षण दिया। इस दौरान जीविका दीदियों को बताया गया कि जब आप क्षेत्र में भ्रमण करती हैं तो उस दौरान कोई भी ऐसा व्यक्ति जिसे लगातार तीन सप्ताह से खांसी आ रही हो और बलगम में खून आ रहा हो तो उसे नजदीकी सरकारी अस्पताल जांच के लिए ले जाएं। रात में पसीना आना, लगातार बुखार रहना, वजन घटना और सांस लेने में परेशानी जैसी समस्या हो तो उसे तत्काल अस्पताल ले जाकर जांच करवाएं। मौके पर एसटीएलएस जमशेद अहमद संगीता दीदी, निशा दीदी और अन्य लोग भी मौजूद थे।
ज्यादातर मामले घनी आबादी वाले इलाके में मौके पर जीविका दीदियों को बताया गया कि टीबी के अधिकतर मामले घनी आबादी वाले इलाके में पाए जाते हैं। वहां पर गरीबी रहती है। लोगों को सही आहार नहीं मिल पाता है और वह टीबी की चपेट में आ जाते हैं। इसलिए हमलोग घनी आबादी वाले इलाके में लगातार जागरूकता अभियान चला रहे हैं। लोगों को बचाव की जानकारी दे रहे और साथ में सही पोषण लेने के लिए भी जागरूक कर रहे हैं।
सरकारी अस्पतालों में टीबी के इलाज की मुफ्त व्यवस्थाः दरअसल, टीबी उन्मूलन को लेकर सरकार गंभीर है। इसी के तहत टीबी की जांच से लेकर इलाज तक की सुविधा मुफ्त है। साथ ही पौष्टिक भोजन करने के लिए टीबी मरीज को पांच सौ रुपये महीने छह महीने तक मिलता भी है। इसलिए अगर कोई आर्थिक तौर पर कमजोर भी है और उसमें टीबी के लक्षण दिखे तो उसे घबराना नहीं चाहिए। नजदीकी सरकारी अस्पताल में जाकर जांच करानी चाहिए। दो सप्ताह तक लगातार खांसी होना या खांसी में खून निकलने जैसे लक्षण दिखे तो तत्काल सरकारी अस्पताल जाना चाहिए।
बीच में दवा नहीं छोड़ेः टीबी की दवा आमतौर पर छह महीने तक चलती है। कुछ पहले भी ठीक हो जाते हैं और कुछ लोगों को थोड़ा अधिक समय भी लगता है। इसलिए जब तक टीबी की बीमारी पूरी तरह ठीक नहीं हो जाए, तब तक दवा का सेवन छोड़ना नहीं चाहिए। बीच में दवा छोड़ने से एमडीआर टीबी होने का खतरा बढ़ जाता है। अगर कोई एमडीआर टीबी की चपेट में आ जाता तो उसे ठीक होने में डेढ़ से दो साल लग जाते हैं। इसलिए टीबी की दवा बीच में नहीं छोड़ें। जब तक आप पूरी तरह से ठीक नहीं हो जाते हैं तब तक दवा खाते रहें।
टीबी के लक्षण
1. दो हफ़्ते या अधिक खांसी आना- पहले सूखी खांसी तथा बाद में बलगम के साथ खून का आना।
2. रात में पसीना आना-चाहे मौसम ठंड का क्यों न हो।
3. लगातार बुखार रहना
4.थकावट होना
5.वजन घटना
6.सांस लेने में परेशानी होना
बचाव के तरीके-
1. जांच के बाद टी.बी.रोग की पुष्टि होने पर दवा का पूरा कोर्स लें।
2.मास्क पहनें तथा खांसने या छींकने पर मुंह को पेपर नैपकीन से कवर करें।
3.मरीज किसी एक प्लास्टिक बैग में थूकें।
4.मरीज हवादार और अच्छी रौशनी वाले कमरे में रहें। एसी से परहेज करें।
5.पौष्टिक खाना खाएं। योगाभ्यास करें।
6.बीड़ी, सिगरेट, हुक्का, तम्बाकू, शराब आदि से परहेज करें।
7. भीड़भाड़ वाली गंदी जगहों पर जानें से बचें।
रिपोर्टर
The Reporter specializes in covering a news beat, produces daily news for Aaple Rajya News
Dr. Rajesh Kumar