कालाजार के मरीज की सूचना देने या रेफर करने पर मिलेंगे 500 रुपये

 
-सदर अस्पताल में ग्रामीण चिकित्सकों को कालाजार को लेकर दिया गया प्रशिक्षण
-प्रशिक्षण के दौरान ग्रामीण चिकित्सकों को लक्षण से लेकर बचाव की दी गई जानकारी
 
बांका, 25 फरवरी-
 
ग्रामीण चिकित्सक अगर कालाजार के मरीज की सूचना देते हैं या फिर सरकारी अस्पताल रेफर करते हैं तो उन्हें 500 रुपये दिया जाएगा। यह बात शुक्रवार को सदर अस्पताल में ग्रामीण चिकित्सकों को प्रशिक्षण के दौरान कही गई। कालाजार को लेकर प्रशिक्षण मास्टर ट्रेनर जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ. बीरेंद्र कुमार यादव, वेक्टर रोग नियंत्रण पदाधिकारी आरिफ इकबाल और केयर इंडिया के डीपीओ मानस नायक ने दिया। मौके पर सुभाष कुमार साह और राकेश कुमार भी मौजूद थे।
प्रशिक्षण के दौरान ग्रामीण चिकित्सकों को कालाजार की पहचान के बारे में बताया गया। इसके लक्षण की जानकारी दी गई। उन्हें बताया गया कि कालाजार बीमारी बालू मक्खी के काटने से होता है। एंटी मलेरिया या एंटीबायोटिक दवा खाने के बाद भी 15 दिन से अधिक बुखार हो तो कालाजार हो सकता है। कम भूख लगना, वजन का घटना, लिवर और तिल्ली का बढ़ जाना ये सब कालाजार के लक्षण हैं। कालाजार की जांच सभी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में मुफ्त में होती है। साथ ही इसका इलाज सदर अस्पताल में बिल्कुल ही निःशुल्क है। कालाजार उन्मूलन को लेकर ज़िले के बौंसी, बाराहाट, धोरैया और बांका सदर प्रखंडों के 10 गांवों के 18530 आबादी के 3548 घरों में 05 मार्च 2021 से सिंथेटिक पाइराथायरायड पाउडर का छिड़काव लगातार कराया जा रहा है।
7100 रुपये की मिलेती है राशिः प्रशिक्षण के दौरान बताया गया कि कालाजार के मरीज को सरकार की तरफ से 7100 रुपये दिए जाते हैं। इसमें 500 रुपये केंद्र सरकार की ओर से और 6600 रुपये राज्य सरकार की ओर से दिया जाता है। मरीज को पौष्टिक भोजन के लिए यह राशि दी जाती है। कालाजार के मरीज जैसे ही मिलते हैं, सबसे पहले उसका इलाज कराया जाता है। इसके बाद मरीज का सर्टिफिकेट बनाकर उसे सहायता राशि दी जाती है।
कालाजार की रोकथाम को लेकर स्वास्थ्य विभाग अलर्ट: जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ. बीरेंद्र कुमार यादव ने बताया कि कालाजार की रोकथाम व इसके सौ फीसदी उन्मूलन के लिए स्वास्थ्य विभाग अलर्ट है। प्रभावित प्रखंडों में छिड़काव का काम लगातार करवाया जाता है। डॉ. यादव ने लोगों से अपील की कि बीमारी से बचाव के लिए घर के आसपास जलजमाव नहीं होने दें। यदि जलजमाव की स्थिति है तो उसमें किरासन तेल डालें। सोते समय मच्छरदानी लगाएं। साथ ही बच्चों को पूरा कपड़ा पहनायें व शरीर पर मच्छर रोधी क्रीम लगाएं। कालाजार के खतरे को देखते हुए अपने घरों की भीतरी दीवारों और बथानों में कीटनाशक का छिड़काव करने व आसपास के हिस्से को सूखा व स्वच्छ रखने की अपील उन्होंने की।
 
इलाज में नहीं करें लापरवाही: वेक्टर रोग नियंत्रण पदाधिकारी आरिफ इकबाल ने बताया कि कालाजार एक वेक्टर जनित रोग है। कालाजार के इलाज में लापरवाही से मरीज की जान भी जा सकती है। यह बीमारी लिश्मैनिया डोनोवानी परजीवी के कारण होता है। कालाजार एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति तक फैलने वाली बीमारी है। यदि इलाज में देरी होता है तो हाथ, पैर व पेट की त्वचा काली हो जाती है। बाल व त्वचा के परत भी सूख कर झड़ते हैं। कालाजार के लक्षणों के दिखने पर रोगी को तुरंत किसी नजदीकी अस्पताल या पीएचसी भेजा जाना चाहिए।

रिपोर्टर

  • Dr. Rajesh Kumar
    Dr. Rajesh Kumar

    The Reporter specializes in covering a news beat, produces daily news for Aaple Rajya News

    Dr. Rajesh Kumar

संबंधित पोस्ट