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मौसम में बदलाव और बढ़ती गर्मी के बीच बच्चों के शरीर में नहीं होने दें डिहाइड्रेशन
- डिहाइड्रेशन और डायरिया शिशु की मृत्यु दर में बढ़ोतरी का प्रमुख कारण
- ओआरएस घोल से 90 प्रतिशत तक डायरिया का प्रबंधन संभव
: कुपोषित बच्चों में डायरिया से बढ़ सकती है समस्याएं
मुंगेर, 29 मार्च। मौसम में लगातार हो रहे बदलाव और बढ़ रही गर्मी के बीच बच्चों में डायरिया का होना सबसे सामान्य स्वास्थ्य समस्याओं में से एक है। डायरिया से बच्चे तो बच्चे बड़े लोग भी पीड़ित हो सकते हैं। डायरिया के कारण बच्चों में अत्यधिक निर्जलीकरण (डिहाइड्रेशन) होने से समस्याएं काफी हद तक बढ़ जाती हैं। यहां तक कि इस दौरान कुशल प्रबंधन नहीं होने से यह जानलेवा भी हो जाता है। स्वास्थ्य संबंधी महत्वपूर्ण आंकड़े भी इसे शिशु मृत्यु के प्रमुख कारणों में से एक मानते हैं। सही समय पर डायरिया के लक्षणों को जानकर एवं सही समय पर उचित प्रबंधन कर बच्चों को इस गंभीर रोग से आसानी से सुरक्षित किया जा सकता है।
बच्चों के शारीरिक बदलाव पर ध्यान देते हुए इन लक्षणों के प्रति रहें सतर्क :
एनआरसी मुंगेर के नोडल अधिकारी और जिला कार्यक्रम समन्वयक (डीपीसी) विकास कुमार ने बताया कि डायरिया के शुरुआती लक्षणों का ध्यान रख माताएं इसकी आसानी से पहचान कर सकती हैं। इससे केवल नवजातों को ही नहीं बल्कि बड़े बच्चों को भी डायरिया से बचाया जा सकता है।
डायरिया के कुछ लक्षण इस प्रकार से हैं : -
- लगातार पतले दस्त आना ।
- बार-बार दस्त के साथ उल्टी का होना ।
- प्यास बढ़ जाना ।
- भूख का कम जाना या खाना नहीं खाना ।
- दस्त के साथ हल्के बुखार का आना ।
- कभी- कभी स्थिति गंभीर हो जाने पर दस्त में खून भी आने लगता है ।
बड़े बच्चों को ओआरएस देकर करें बचाव :
उन्होंने बताया कि बार- बार डायरिया /दस्त लगने से हुये डिहाइड्रेशन को दूर करने के लिए बड़े बच्चों को ओरल रीहाइड्रेशन सोल्यूशन (ओआरएस) का घोल पिलाएँ। इससे दस्त के कारण पानी के साथ शरीर से निकले जरूरी एल्क्ट्रोलाइट्स ( सोडियम, पोटैशियम, क्लोराइड एवं बाईकार्बोनेट) की कमी को दूर किया जा सकता है। माताएँ अपने नजदीकी आंगनबाड़ी केंद्र या सेविका दीदी से संपर्क कर इस बात की जानकारी ले सकती हैं कि ओआरएस का घोल कैसे बनाना और किस उम्र के बच्चे को इसकी कितनी मात्रा कितने बार दिया जाना है ।
नवजातों व 6 महीने तक के शिशु के लिए स्तनपान ही एक मात्र विकल्प :
एनआरसी मुंगेर की फीडिंग डिमांस्ट्रेटर रचना भारती ने बताया कि 6 माह तक के शिशुओं को डायरिया से बचाने के लिए नियमित स्तनपान पर अधिक जोर देने की जरूरत है। 6 माह तक सिर्फ स्तनपान कराने से शिशु का डायरिया एवं निमोनिया जैसे गंभीर रोगों से बचाव होता है। डायरिया के लक्षण यदि ओ.आर.एस. के सेवन के बाद भी रहे तो अविलम्ब मरीज को डॉक्टर के पास ले जाकर उचित उपचार कराना आवश्यक है। लोगों को नीम- हकीम द्वारा बताये गए उपायों से बचना चाहिए तथा ऐसी स्थिति में चिकित्सकीय सलाह लेनी चाहिए। बच्चों में डायरिया से होने वाली मृत्यु का प्रमुख कारण उपचार में की गयी देरी होती है। बारिश के मौसम में जल जनित संक्रमण का खतरा बढ़ जाता और भोजन बनाने और खाने समय साफ़- सफाई रखने के अलावा शुद्ध जल का सेवन अनिवार्य है।
रिपोर्टर
The Reporter specializes in covering a news beat, produces daily news for Aaple Rajya News
Dr. Rajesh Kumar