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टीबी मरीजों को चिह्नित करने के काम में तेजी लाने का निर्देश
-जिलाधिकारी के नेतृत्व में टीबी फोरम की हुई बैठक
-फोरम में शामिल सदस्यों ने बैठक में की शिरकत
बांका, 26 अप्रैल-
जिलाधिकारी डॉ. सुहर्ष भगत के नेतृत्व में मंगलवार को जिला टीबी फोरम की बैठक हुई। बैठक में डीडीसी, एसीएमओ और सीडीओ समेत सदस्य और अधिकारी शामिल हुए। बैठक में 2025 तक जिला को टीबी से मुक्त करने को लेकर चर्चा की गई। इसे लेकर टीबी मरीजों के चिह्नित और उसके इलाज की दिशा में तेजी लाने का निर्देश दिया गया। बैठक में मौजूद एसीएमओ और प्रभारी सिविल सर्जन डॉ. अभय प्रकाश चौधरी ने कहा कि टीबी को लेकर जिले में लगातार अभियान चलाया जा रहा है। उसे और तेज करने के लिए कहा गया। लोगों को टीबी के प्रति जागरूक करने के बारे में चर्चा हुई। लोगों में टीबी के प्रति जितनी जागरूकता बढ़ेगी, उतनी ही तेजी से समाज टीबी मुक्त होगा। इसलिए टीबी मरीजों को चिह्नित करने और जागरूकता बढ़ाने पर बल दिया गया।
सीडीओ डॉ. उमेश नंदन प्रसाद सिन्हा ने बताया कि जिले को 2025 तक टीबी से मुक्त बनाने के लिए हमलोग प्रयासरत हैं। इसे लेकर लगातार जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है। लोगों को टीबी से बचने के लिए सलाह दी जा रही है। लोग उस पर अमल करें। उन्होंने कहा कि टीबी से बचाव के लिए सही पोषण भी जरूरी है। अगर सही पोषण नहीं मिलेगा तो लोग कुपोषण के शिकार हो जाएंगे और उस पर टीबी की चपेट में आने का खतरा रहता है। इसलिए लोगों को संतुलित आहार लेना चाहिए। आहार में प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, वसा और मिनरल्स की मात्रा जरूर होनी चाहिए। डॉ. सिन्हा ने कहा कि टीबी के अधिकतर मामले घनी आबादी वाले इलाके में पाए जाते हैं। वहां पर गरीबी रहती है। लोगों को सही आहार नहीं मिल पाता है और वह टीबी की चपेट में आ जाते हैं। इसलिए हमलोग घनी आबादी वाले इलाके में लगातार जागरूकता अभियान चला रहे हैं। लोगों को बचाव की जानकारी दे रहे और साथ में सही पोषण लेने के लिए भी जागरूक कर रहे हैं।
सरकारी अस्पतालों में टीबी के इलाज की मुफ्त व्यवस्थाः सीडीओ कहते हैं कि टीबी उन्मूलन को लेकर सरकार गंभीर है। इसी के तहत टीबी की जांच से लेकर इलाज तक की सुविधा मुफ्त है। साथ ही पौष्टिक भोजन करने के लिए टीबी मरीज को पांच सौ रुपये महीने छह महीने तक मिलता भी है। इसलिए अगर कोई आर्थिक तौर पर कमजोर भी है और उसमें टीबी के लक्षण दिखे तो उसे घबराना नहीं चाहिए। नजदीकि सरकारी अस्पताल में जाकर जांच करानी चाहिए। दो सप्ताह तक लगातार खांसी होना या खांसी में खून निकलने जैसे लक्षण दिखे तो तत्काल सरकारी अस्पताल जाना चाहिए।
बीच में नहीं छोड़ें दवाः सीडीओ कहते हैं कि टीबी की दवा आमतौर पर छह महीने तक चलती है। कुछ पहले भी ठीक हो जाते और कुछ लोगों को थोड़ा अधिक समय भी लगता है। इसलिए जब तक टीबी की बीमारी पूरी तरह ठीक नहीं हो जाए, तब तक दवा का सेवन छोड़ना नहीं चाहिए। बीच में दवा छोड़ने से एमडीआर टीबी होने का खतरा बढ़ जाता है। अगर कोई एमडीआर टीबी की चपेट में आ जाता तो उसे ठीक होने में डेढ़ से दो साल लग जाते हैं। इसलिए टीबी की दवा बीच में नहीं छोड़ें। जब तक आप पूरी तरह से ठीक नहीं हो जाते हैं तब तक दवा खाते रहें।
रिपोर्टर
The Reporter specializes in covering a news beat, produces daily news for Aaple Rajya News
Dr. Rajesh Kumar