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टीबी के इलाज के दौरान तंबाकू और शराब का सेवन नहीं करें
-कहलगांव एनटीपीसी अस्पताल में टीबी केयर और सपोर्ट ग्रुप की बैठक
-टीबी के मरीजों और देखभाल करने वालों को दी गई महत्वपूर्ण जानकारी
भागलपुर-
कहलगांव स्थित एनटीपी अस्पताल में शनिवार को टीबी केयर एंड सपोर्ट ग्रुप बैठक हुई। बैठक का आयोजन कर्नाटका हेल्थ प्रमोशन ट्रस्ट (केएचपीटी) ने अस्पताल प्रबंधन के सहयोग से किया। जिसमें 13 मरीज और 8 देखभाल करने वाले सम्मिलित हुए। इस दौरान टीबी मरीज को सही समय और नियमित दवाई का सेवन करने की सलाह दी गई। दवाई सेवन के दौरान होने वाली परेशानी, निक्षय पोषण के तहत मिलने वाली राशि और पौष्टिक भोजन करने के लिए भी मरीजों को बताया गया। इलाज के दौरान शराब और तम्बाकू का सेवन नहीं करने की सलाह भी गई। बैठक में सीएमओ डॉक्टर सुष्मिता सिंह, एमओ डॉक्टर सुरेश कुमार, एलटी राकेश कुमार मिश्रा, एसटीएलएस देव कुणाल और केएचपीटी से धीरज कुमार मिश्रा सम्मलित हुए।
डॉक्टर सुष्मिता सिंह ने बैठक के दौरान बताया कि किसी व्यक्ति को लगातार दो हफ्ते या उससे ज्यादा समय तक खांसी, बलगम के साथ खून का आना, शाम को बुखार आना या वजन कम होना की शिकायत हो तो उसे तुरंत नजदीक के सरकारी अस्पताल में ले जाकर जांच कराने की सलाह दें। ये टीबी के लक्षण हैं। साथ ही उन्हें यह भी बताएं कि सरकारी अस्पताल में टीबी की जांच और इलाज पूरी तरह मुफ्त है। लोगों को जागरूक कर ही टीबी बीमारी को समाज से मुक्त कर सकते हैं। टीबी के अधिकतर मामले घनी आबादी वाले इलाके में पाए जाते हैं। वहां पर गरीबी रहती है। लोगों को सही आहार नहीं मिल पाता और वह टीबी की चपेट में आ जाते हैं। इसलिए हमलोग घनी आबादी वाले इलाके में लगातार जागरूकता अभियान चला रहे हैं। लोगों को बचाव की जानकारी दे रहे हैं और साथ में सही पोषण लेने के लिए भी जागरूक कर रहे हैं।
बीच में दवा नहीं छोड़ेः वहीं डॉक्टर सुरेश कुमार ने बताया कि टीबी की दवा आमतौर पर छह महीने तक चलती है। कुछ पहले भी ठीक हो जाते और कुछ लोगों को थोड़ा अधिक समय भी लगता है। इसलिए जब तक टीबी की बीमारी पूरी तरह ठीक नहीं हो जाए, तब तक दवा का सेवन छोड़ना नहीं चाहिए। बीच में दवा छोड़ने से एमडीआर टीबी होने का खतरा बढ़ जाता है। अगर कोई एमडीआर टीबी की चपेट में आ जाता है तो उसे ठीक होने में डेढ़ से दो साल लग जाते हैं। इसलिए टीबी की दवा बीच में नहीं छोड़ें। जब तक आप पूरी तरह से ठीक नहीं हो जाते हैं तब तक दवा खाते रहें।
भोजन के लिए मरीजों के मिलते हैं पैसेः दरअसल, टीबी उन्मूलन को लेकर सरकार गंभीर है। इसीलिए टीबी की जांच से लेकर इलाज तक की सुविधा मुफ्त है। साथ ही पौष्टिक भोजन करने के लिए टीबी मरीज को पांच सौ रुपये महीने छह महीने तक मिलता भी है। इसलिए अगर कोई आर्थिक तौर पर कमजोर भी है और उसमें टीबी के लक्षण दिखे तो उसे घबराना नहीं चाहिए। नजदीकी सरकारी अस्पताल में जाकर जांच करानी चाहिए। दो सप्ताह तक लगातार खांसी होना या खांसी में खून निकलने जैसे लक्षण दिखे तो तत्काल सरकारी अस्पताल जाना चाहिए।
रिपोर्टर
The Reporter specializes in covering a news beat, produces daily news for Aaple Rajya News
Dr. Rajesh Kumar