आंगनबाड़ी केंद्रों पर अन्नप्राशन कार्यक्रम का आयोजन, उचित पोषण की दी गई जानकारी

 
 
- छः माह की उम्र पार करने वाले बच्चों का कराया गया अन्नप्राशन, पौष्टिक आहार के महत्व की दी गई जानकारी
- कुपोषण मुक्त समाज निर्माण को लेकर लोगों को किया गया जागरूक, दी गई आवश्यक जानकारी
 
खगड़िया, 19 मई।
गुरुवार को जिले के सभी प्रखंडों में संचालित आंगनबाड़ी केंद्रों पर उत्साह के साथ अन्नप्राशन कार्यक्रम का आयोजन हुआ। इस दौरान जिले की सभी सेविका-सहायिका अपने-अपने आंगनबाड़ी केंद्रों पर छः माह की उम्र पार करने वाले बच्चों को पहलीबार अन्नप्राशन कराया और बच्चे की माँ को बच्चे के 6 माह के बाद ऊपरी आहार की विशेषता बताते हुए अन्नप्राशन के महत्व की विस्तार से जानकारी दी। ताकि बच्चे के स्वस्थ्य शरीर का निर्माण हो सके। वहीं, बच्चों के सर्वांगीण शारीरिक और मानसिक विकास के लिए उचित पोषण की जानकारी दी गई और कुपोषण मुक्त समाज निर्माण को लेकर जागरूक किया गया। जिसमें बताया गया कि कुपोषण को मिटाने के लिए उचित पोषण बेहद जरूरी है। इसलिए, सरकार द्वारा इस तरह के कार्यक्रम का आयोजन कर उचित पोषण के लिए जागरूक किया जा रहा है। दरअसल, कुपोषण मुक्त समाज निर्माण की दिशा में सरकार पूरी तरह सजग और कटिबद्ध है।
 
- अन्नप्राशन के साथ कोविड और नियमित टीकाकरण के प्रति किया गया जागरूक :
आईसीडीएस के जिला समन्वयक (डीसी) अंबुज कुमार ने बताया, अन्नप्राशन के साथ संभावित चौथी लहर को देखते हुए जहाँ कोविड से बचाव और सुरक्षित रहने के वैक्सीनेशन कराने के लिए जागरूक किया गया। वहीं, जिले में चल रहे नियमित टीकाकरण अभियान की सफलता एवं बच्चों को विभिन्न प्रकार की बीमारियों से सुरक्षित रखने के लिए निश्चित तौर पर आरआई कराने को लेकर भी जागरूक किया गया। इसके अलावा कुपोषण मुक्त समाज निर्माण को लेकर विस्तृत चर्चा की गई।
 
- अन्नप्राशन के साथ दो वर्षों तक स्तनपान भी जरूरी :
आईसीडीएस की जिला कार्यक्रम पदाधिकारी सुनीता कुमारी ने बताया, इस दौरान मौजूद बच्चों की माँ को बच्चे के स्वस्थ्य शरीर निर्माण को लेकर आवश्यक जानकारियाँ दी गई। जिसमें बताया गया कि बच्चों को अन्नप्राशन के साथ कम से कम दो वर्षों तक स्तनपान भी कराएं और छः माह तक सिर्फ स्तनपान ही कराएं। तभी बच्चे का स्वस्थ शरीर निर्माण संभव है। इसके अलावा 6 माह से ऊपर के बच्चों के अभिभावकों को बच्चों के लिए पूरक आहार की जरूरत के विषय में जानकारी दी गयी। 6 से 9 माह के शिशु को दिन भर में 200 ग्राम सुपाच्य मसला हुआ खाना, 9 से 12 माह में 300 ग्राम मसला हुआ ठोस खाना, 12 से 24 माह में 500 ग्राम तक खाना खिलाने की सलाह दी गयी। इसके अलावा अभिभावकों को बच्चों के दैनिक आहार में हरी पत्तीदार सब्जी और पीले नारंगी फल को शामिल करने की बात बताई गयी। चावल, रोटी, दाल, हरी सब्जी, अंडा एवं अन्य खाद्य पदार्थों की पोषक तत्वों के विषय में चर्चा कर अभिभावकों को इसके विषय में जागरूक किया गया।
 
- पौष्टिक आहार की महत्ता की दी गई जानकारी :
केयर इंडिया के परिवार नियोजन योजना के जिला समन्वयक राजेश पांडेय ने बताया, शिशु के जन्म के एक घंटे के भीतर माँ का गाढ़ा-पीला दूध बच्चे की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है। अगले छह माह तक केवल मां का दूध बच्चे को कई गंभीर रोगों से सुरक्षित रखता है। 6 माह के बाद बच्चे का शारीरिक एवं मानसिक विकास काफी तेजी से होता है। इस दौरान स्तनपान के साथ ऊपरी आहार की काफी जरूरत होती है। घर का बना मसला व गाढ़ा भोजन ऊपरी आहार की शुरुआत के लिए जरूरी होता है।
 
 - इन बातों का रखें ख्याल : -
- 6 माह बाद स्तनपान के साथ अनुपूरक आहार शिशु को दें।
- स्तनपान के अतिरिक्त दिन में 5 से 6 बार शिशु को सुपाच्य खाना दें।
- शिशु को माल्टिंग आहार (अंकुरित साबुत आनाज या दाल को सुखाने के बाद पीसकर) दें।
- माल्टिंग से तैयार आहार से शिशुओं को अधिक ऊर्जा प्राप्त होती है।
- शिशु यदि अनुपूरक आहार नहीं खाए तब भी थोड़ा-थोड़ा करके कई बार खिलाएं।

रिपोर्टर

  • Dr. Rajesh Kumar
    Dr. Rajesh Kumar

    The Reporter specializes in covering a news beat, produces daily news for Aaple Rajya News

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