2025 तक टीबी को खत्म करने के लिए हर मोर्चे पर चल रहा कामः सीडीओ

 
बांका, 25 मई-
 
सरकार 2025 तक टीबी को खत्म करने के लिए प्रतिबद्ध है। इसे लेकर लगातार काम हो रहा है। जागरूकता कार्यक्रम से लेकर जांच और इलाज की गति को तेज कर दिया गया है। बांका जिले में इसे लेकर क्या सब हो रहा है, आइए जानते हैं प्रभारी सीडीओ डॉ. सोहैल अंजुम से।
1. बांका जिले को टीबी से मुक्त करने को लेकर क्या तैयारी है?
सीडीओः देश औऱ राज्य के अन्य जिलों की ही तरह यहां पर भी टीबी को 2025 तक खत्म करने को लेकर काम चल रहा है। क्षेत्र से लेकर अस्पतालों तक में इसकी व्यवस्था है। हर मोर्चे पर काम चल रहा है। आशा कार्यकर्ता के जरिये क्षेत्र में टीबी मरीजों की पहचान की जा रही है। संदिग्ध मरीज मिलने पर उसकी जांच कराई जाती है। जांच में टीबी की पुष्टि हो जाने पर उसका निःशुल्क इलाज किया जाता है। जिले के सभी सरकारी अस्पतालों में टीबी की जांच से लेकर इलाज तक की व्यवस्था है। इलाजरत टीबी मरीजों की निगरानी भी की जा रही है।
2. टीबी को खत्म करने के लिए इसके अतिरिक्त और क्या प्रयास हो रहे हैं?
सीडीओः पिछले दिनों हमलोगों ने ग्रामीण डॉक्टरों के लिए एक वर्कशॉप का आय़ोजन किया था। जिला में हुई इस वर्कशॉप में सभी प्रखंडों से ग्रामीण डॉक्टर पहुंचे थे। हमलोगों ने सभी को बताया कि अगर आपको क्षेत्र में इलाज के दौरान कोई टीबी के मरीज मिलते हैं और जांच में इसकी पुष्टि हो जाती तो इसके लिए आपको भी प्रोत्साहन राशि मिलेगी। इसका असर भी हो रहा है। ग्रामीण डॉक्टर के अलावा कोई अन्य लोग भी अगर टीबी मरीज को पहली बार लाते हैं तो उसे भी प्रोत्साहन राशि मिलेगी। टीबी ही नहीं, किसी भी बीमारी को खत्म करने के लिए सामुदायिक स्तर पर भी समर्थन जरूरी होता है।
3. टीबी मरीजों को दवा के अलावा अन्य क्या सुविधा मिलती है?
सीडीओः टीबी मरीजों की जांच और इलाज तो मुफ्त में होता ही है। साथ में उन्हें पौष्टिक आहार के लिए 500 रुपये प्रतिमाह दिया जाता है, जबतक इलाज चलता है। टीबी के मामले ज्यादातर घनी आबादी वाले क्षेत्रों में पाए जाते हैं। वहां के लोग अधिक मात्रा में पौष्टिक आहार नहीं ले पाते हैं। इस वजह से इस तरह का सहयोग टीबी मरीजों को मिलता है।
4. आप अपनी तरफ से टीबी मरीजों को क्या सलाह देना चाहेंगे?
सीडीओः मैं तो उन्हें यही सलाह देना चाहूंगा कि दवा का सेवन नियमित तौर पर करें। बीच में नहीं छोड़ें। बीच में दवा छोड़ने पर एमडीआर टीबी होने का खतरा रहता है। अगर किसी को एमडीआर टीबी हो जाता है, उसे ठीक होने में ज्यादा समय लगता है। इसलिए टीबी के मरीज नियमित तौर पर दवा खाते रहें। जब तक कि डॉक्टर जांच के बाद उन्हें पूरी तरह से स्वस्थ्य घोषित नहीं कर दे, तबतक वे दवा लेते रहें।
5. अबतक के अनुभवों से आपको क्या लग रहा है, जिले में 2025 तक टीबी खत्म हो जाएंगे?
सीडीओः बिल्कुल। सरकार के स्तर के साथ-साथ जिले में सामुदायिक स्तर पर भी लोगों का समर्थन मिल रहा है। हमलोग लगातार जागरूकता कार्य़क्रम चला रहे हैं। लोगों को बता रहे हैं कि अगर दो हफ्ते से अधिक समय तक खांसी हो, बलगम में खून आना, शाम के समय में ज्यादा पसीना आना आदि लक्षण दिखे तो तत्काल टीबी की जांच करा लें। अगर पुष्टि हो जाती है तो इसका इलाज करवाएं।

रिपोर्टर

  • Dr. Rajesh Kumar
    Dr. Rajesh Kumar

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