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सुल्तानगंज रेफरल अस्पताल में टीबी मरीजों को बेहतर स्वास्थ्य सेवा उपलब्ध कराने को लेकर बैठक आयोजित
- टीबी उन्मूलन को लेकर की आवश्यक चर्चा, दिए गए जरूरी निर्देश
- स्वास्थ्य विभाग एवं केएचपीटी के पदाधिकारी और कर्मी के साथ मरीज भी बैठक में हुए शामिल
भागलपुर, 30 जून-
गुरुवार को सुल्तानगंज रेफरल अस्पताल में टीबी उन्मूलन से संबंधित विषय पर एक बैठक आयोजित की गई। जिसकी अध्यक्षता अस्पताल के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डाॅ अतुल प्रकाश ने की। बैठक में स्वास्थ्य विभाग एवं केएचपीटी के पदाधिकारी और कर्मी के साथ मरीज भी शामिल हुए। आयोजित बैठक के दौरान टीबी उन्मूलन को लेकर विस्तृत चर्चा की गई एवं वर्ष 2025 तक टीबी मुक्त समाज निर्माण को सफल बनाने के लिए भी जरूरी चर्चा की गई। जिसके दौरान मरीजों को बेहतर से बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराने, इलाज कराने में मरीजों को किसी प्रकार की कोई असुविधा नहीं हो तमाम बिदुओं पर विस्तृत चर्चा की गई। जिसके बाद मौजूद पदाधिकारियों एवं कर्मियों को आवश्यक निर्देश दिए गए। इसके साथ मरीजों को भी बीमारी को मात देने के लिए आवश्यक जानकारी दी और नियमित तौर पर दवाई का सेवन करने के लिए प्रेरित किया गया। इस मौके पर एसटीएस किशोर कुमार, बीएचएम चन्दन कुमार, केएचपीटी के समन्वयक अमर कुमार सिंह आदि मौजूद थे।
इस दौरान डाॅ अतुल प्रकाश ने बताया कि किसी व्यक्ति को लगातार दो हफ्ते या उससे ज्यादा समय तक खांसी, बलगम के साथ खून का आना, शाम को बुखार आना या वजन कम होना की शिकायत हो तो उसे तुरंत नजदीक के सरकारी अस्पताल में ले जाकर जांच कराने की सलाह दें। ये टीबी के लक्षण हैं। साथ ही उन्हें यह भी बताएं कि सरकारी अस्पताल में टीबी की जांच और इलाज पूरी तरह मुफ्त है। लोगों को जागरूक कर ही टीबी बीमारी को समाज से मुक्त कर सकते हैं। वहीं, उन्होंने बताया कि टीबी के अधिकतर मामले घनी आबादी वाले इलाके में पाए जाते हैं। वहां पर गरीबी रहती है। लोगों को सही आहार नहीं मिल पाता और वह टीबी की चपेट में आ जाते हैं। इसलिए हमलोग घनी आबादी वाले इलाके में लगातार जागरूकता अभियान चला रहे हैं। लोगों को बचाव की जानकारी दे रहे हैं और साथ में सही पोषण लेने के लिए भी जागरूक कर रहे हैं।
बीच में दवा नहीं छोड़ेः एसटीएस किशोर कुमार ने बताया कि टीबी की दवा आमतौर पर छह महीने तक चलती है। कुछ पहले भी ठीक हो जाते और कुछ लोगों को थोड़ा अधिक समय भी लगता है। इसलिए जब तक टीबी की बीमारी पूरी तरह ठीक नहीं हो जाए, तब तक दवा का सेवन छोड़ना नहीं चाहिए। बीच में दवा छोड़ने से एमडीआर टीबी होने का खतरा बढ़ जाता है। अगर कोई एमडीआर टीबी की चपेट में आ जाता है तो उसे ठीक होने में डेढ़ से दो साल लग जाते हैं। इसलिए टीबी की दवा बीच में नहीं छोड़ें। जब तक आप पूरी तरह से ठीक नहीं हो जाते हैं तब तक दवा खाते रहें।
भोजन के लिए मरीजों के मिलते हैं पैसेः केएचपीटी के समन्वयक अमर कुमार सिंह ने बताया कि टीबी उन्मूलन को लेकर सरकार गंभीर है। इसीलिए टीबी की जांच से लेकर इलाज तक की सुविधा मुफ्त है। साथ ही पौष्टिक भोजन करने के लिए टीबी मरीज को पांच सौ रुपये महीने छह महीने तक मिलता भी है। इसलिए अगर कोई आर्थिक तौर पर कमजोर भी है और उसमें टीबी के लक्षण दिखे तो उसे घबराना नहीं चाहिए। नजदीकी सरकारी अस्पताल में जाकर जांच करानी चाहिए। दो सप्ताह तक लगातार खांसी होना या खांसी में खून निकलने जैसे लक्षण दिखे तो तत्काल सरकारी अस्पताल जाना चाहिए।
रिपोर्टर
The Reporter specializes in covering a news beat, produces daily news for Aaple Rajya News
Dr. Rajesh Kumar