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सेहत और सुरक्षा के लिए सैनेटरी पैड्स के लिए तय हैं मानक
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- May 28, 2020
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• सोखने के साथ स्वच्छता और साइज भी है तय
• 28 मई को मासिक धर्म स्वच्छता दिवस
भागलपुर, -
मासिकधर्म में जिन सैनिटरी पैड्स का इस्तेमाल स्वच्छता और सुरक्षा के लिए किया जाता है वह पूरी तरह से सुरक्षित हो और उससे महिलाओं की सेहत पर बुरा असर भी न पड़े, इसके लिए सरकार ने मानक तय कर रखे हैं। इंडियन ब्यूरो ऑफ़ स्टैंडर्ड्स ने सैनेटरी पैड के लिए यह मानक मूल रूप से 1969 में प्रकाशित किया था जिससे फिर 1980 में संशोधित किया गया| समय-समय पर इसमें बदलाव भी किए जाते रहे हैं।
मानदंडों का करना होता है अनुपालन:
सैनिटरी नैपकिन या सैनिटरी पैड मासिक धर्म के दौरान रक्त को सोखने के लिए उपयोग किया जाता है। मासिक स्राव के मद्देनजर तय किए गए मानक के मुताबिक पैड्स एक उचित मोटाई, लंबाई और अवशोषण क्षमता वाले होने चाहिए। यानि सैनिटरी पैड का काम सिर्फ़ ब्लीडिंग को सोखना नहीं स्वच्छता (हाइजिन) के पैरामीटर पर भी खरा उतरना है। अमूमन जब सैनिटरी पैड खरीदते हैं तो ब्रांड वैल्यू पर विश्वास करते हुए पै़ड्स ख़रीद लेते हैं जबकि सैनिटरी पैड की अच्छी गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए, भारतीय मानक ब्यूरो द्वारा सख्त विनिर्देश तैयार किए गए हैं। आईएस 5405 में मानदंडों और नियमों का विस्तृत विवरण है, जिसका सैनिटरी पैड निर्माताओ कों पालन करना होता है।
सैनिटरी पैड गुणवत्ता के लिए मानक -
• सैनिटरी पैड बनाने के लिए अब्सॉर्बेंट फ़िल्टर और कवरिंग का सबसे अधिक ख़्याल रखना होता है। कवरिंग
के लिए भी अच्छी क्वालिटी के कॉटन का इस्तेमाल होना चाहिए।
• फिल्टर मैटेरियल सेल्युलोज़ पल्प, सेल्युलोज़ अस्तर, टिशूज़ या कॉटन का होना चाहिए। इसमें गांठ, तेल
के धब्बों, धूल और किसी भी चीज़ की मिलावट नहीं होनी चाहिए। यह आईएस 758 के अनुरूप होना चाहिए।
• नैपकिन में कम से कम 60 मिलीलीटर और नैपकिन के वजन से 10 गुना तरल पदार्थ सोखनेकी क्षमता होना जरूरी है।
• नैपकीन का कवर (बाहरी परत) कपास, सिंथेटिक, जाली और बिना बुने हुए कपडे का और स्वच्छ होना चाहिएI
• निर्माता के नाम या ट्रेडमार्क के साथ सैनिटरी नैपकिन की संख्या हर पैकेट पर चिह्नित होनी चाहिए।
• सैनिटरी नैपकिन विभिन्न आकृतियों और डिजाइन के हो सकते हैं । नियमित पैड्स 210 एमएम, लार्ज 211 से 240 एमएम, एक्ट्रा लार्ज 241 से 280 एमएम और एक्सएक्सएल यानि 281 से अधिक होना चाहिए।
• सैनिटरी पैड की सतह चिकनी, नरम और आरामदायक होनी चाहिए जिससे त्वचा को इंफेक्शन और जलन न हो। पैड पर चिपकाने वाले पदार्थो को सही जगह चिपकना चाहिएं।
• पैड्स डिस्पोजेबल होना चाहिए यानि उन्हें 15 लीटर पानी के कंटेनर में डाल दें तो पैड्स को
• विघटित होना चाहिए।
• आईएसओ 17088: उत्पाद है या नहीं, बायोडिग्रेडेबल, कम्पोस्टेबल या ऑक्सी-डिग्रेडेबल है, इसकी जानकारी सैनिटरी नैपकिन के हर पैकेट पर अंकित किया जाए।
• पैड्स की पैकिंग गत्ते का डिब्बा बोर्ड, पॉलीथीन, पॉलीप्रोपाइलीन, पॉलिएस्टर या अन्य जो र्याप्त सुरक्षा प्रदान करती हो उसी में होनी चाहिए।
• इस तरह पहचानें नैपकीन- बाजार से नैपकिन खरीदते समय नैपकिन की सोखने की क्षमता 60 मिलीलीटर से कम लिखी है और प्लास्टिक रहित नहीं लिखा है तो नैपकिन न खरीदे ।
• नैपकिन पर 60 मिलीलीटर पानी दो बार में 5-5 मिनट के अंतराल में धीरे धीरे डालें तथा 10 मिनट के बाद नैपकिन का सूखापन हाथ से देखें । नैपकिन से पानी वापस नहीं निकलता है तो सोखने की क्षमता मानको के अनुसार है ।
• नैपकिन को छूकर उसकी सतह की पहचान करें कि उसकी सतह कितनी मुलायम है। कहीं पॉलिथीन का अगर प्रयोग हुआ है तो नैपकिन से हवा पास नहीं होगी । अतः ऐसा नैपकीन न खरीदें नहीं तो लाल दाने और खुजली जैसी समस्या सूखेपन के बाबजूद हो सकती है।
रिपोर्टर
The Reporter specializes in covering a news beat, produces daily news for Aaple Rajya News
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