प्रत्येक आंगनबाड़ी केंद्र पर नियमित टीकाकरण का हुआ आयोजन

- महिलाओं को स्वच्छता के बारे में भी किया गया जागरूक
- टीकाकरण के दौरान सामाजिक दूरी का रखा गया ख्याल
- रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने पर विशेष बल 

लखीसराय 15 जुलाई :कोरोना संकटकाल में भी बच्चों व गर्भवती महिलाओं के स्वास्थ्य का विशेष ख्याल रखा जा रहा है। इसको लेकर स्वास्थ्य विभाग और आईसीडीएस की ओर से कई कार्यक्रम चलाये जा रहें है। इसी क्रम में जिले में बुधवार को नियमित टीकाकरण का आयोजन सभी आंगनबाड़ी केंद्रों के साथ अतरिक्त केंद्रो पर किया गया।  ये आयोजन कंटेनमेंट जोन को छोड़कर सभी केंद्रो पर किया गया । साथ ही आंगनवाड़ी केंद्रों पर आई हुयी गर्भवती तथा धात्री महिलाओं को कोरोना के विषय में जागरूक करते हुए उन्हें सोशल डिस्टेन्सिंग एवं हाथ की धुलाई के बारे में भी बताया गया। कार्यक्रम में इस बात का भी ध्यान रखा गया की किसी भी तरह की लापरवाही न हो। 


नियमित टीकाकरण  तथा स्वच्छता के महत्व को लेकर किया गया जागरूक:  जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी डॉ अशोक कुमार भारती ने बताया नियमित टीकाकरण का आयोजन जिले  के कंटेनमेंट क्षेत्र को छोड़कर सभी आगनवाड़ी एवं अतिरिक्त केन्द्रों पर किया गया। उन्होंने बताया लखीसराय अर्बन पीएचसी में 11 बच्चे और  52  गर्भवती महिलाओं को   एवं  ग्रामीण क्षेत्र  में  267 गर्भवती महिला  एवं  67  बच्चों को  टीके लगाए गए. वही बड़हीया पीएचसी के अन्तर्गत 95 बच्चे एवं 32 गर्भवती महिला को प्रतिरक्षीत किए गए । टीकाकरण कार्य में आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं ने गर्भवती माताओं को कोरोना संक्रमण से बचाव व टीकाकरण की जरूरत तथा महत्व के बारे में लोगों को जागरूक किया। साथ ही आंगनबाड़ी केंद्रों के साथ अतिरिक्त केंद्रो पर भी आशा व अन्य मोबिलाइजरों द्वारा लाभार्थी अथवा उसके अभिभावकों में भी बुखार, सर्दी-खांसी के लक्षण की भी जांच की। इसके साथ ही व्यक्तिगत दूरी, मुंह को ढककर रखने व नियमित 40 सेकेंड तक हाथ धोने आदि की भी जानकारी दी गयी। 

जानिए क्या है टीकाकरण; डॉ अशोक कुमार भारती ने बताया टीका एक जीवन रक्षक है जो बच्चे का रक्षा कवच बनकर उसके जीवन की सुरक्षा करता है। टीका बच्चे के शरीर को संक्रामक रोगों से लड़ने की शक्ति प्रदान करता है ताकि नवजात शिशु को कोई भी संक्रामक रोग छू भी न सकें। बच्चों को टीका लगवाने की यह क्रिया वैक्सीनेशन कहलाती है। संक्रामक रोगों की रोकथाम के लिये यह प्रक्रिया सबसे सस्ती और सबसे प्रभावी है। 
1. प्राथमिक टीकाकरण
नवजात शिशु संक्रामक रोगों से बचा रहें और उसके शरीर में रोगों से लड़ने के लिए प्रतिरक्षा प्रणाली मजबूत हो इसके लिए नवजात शिशु के जन्म के समय से ही प्राथमिक टीकाकरण किया जाता है। समय समय पर दिए जाने वाले टीके बच्चे को कई जान लेवा बीमारियों से बचाते है इसलिए समय पर बच्चों को टीका अवश्य लगवाएं।

2. बूस्टर टीकाकरण
बूस्टर खुराकें प्राथमिक टीकाकरण के प्रभाव को बढ़ाने के लिए दी जाती हैं। ताकि जिन शिशुओं में पहले टीके के बाद प्रतिरक्षण क्षमता विकसित नही हुई हो, उन्हें बूस्टर ख़ुराक़ देकर रोगों से लड़ने की क्षमता विकसित की जाए ताकि शिशु हमेशा रोगों से बचा रहें।

3. सार्वजनिक टीकाकरण
जब किसी जगह किसी विशेष बीमारी का भयावह रूप बच्चों पर दिखने लगता है तो उस बीमारी से सभी बच्चों की रक्षा के लिए और उस बीमारी को जड़ से ख़तम करने के लिए सार्वजनिक टीकाकरण कार्यक्रम चलाया जाता है। जैसे पल्स पोलियों अभियान सरकार के द्वारा पोलियो को जड़ से ख़तम करने के लिए चलाया गया और जनता के सहयोग से यह अभियान सफल रहा जिससे आज भारत पोलियो मुक्त बन चुका है। 

नियमित टीकाकरण कई तरह की बीमारियों से करता है बचाव: डॉ भारती ने बतायाशिशुओं व गर्भवती महिलाओं के रूटीन इम्यूनाइजेशन, उन्हें कई तरह की बीमारियों से बचाता है।  साथ ही टीकाकरण से बच्चों के शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाया जाता है ताकि उनके रोग से लड़ने की क्षमता विकसित हो सके।  बीमारियां जैसे खसरा, टिटनेस, पोलियो, क्षय रोग, गलाघोंटू, काली खांसी व हेपेटाइटिस बी आदि बीमारियों से यह बच्चों की सुरक्षा करता है।

रिपोर्टर

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