बौसी प्रखंड के रौताबरण गांव से कालाजार के खिलाफ अभियान की हुई शुरुआत

 
 
छिड़कावकर्मियों ने घरों में सिं  थेटिक पायराथायराइड का किया छिड़काव
छिड़काव के दौरान जिला स्वास्थ्य समिति की टीम भी रही मौजूद
 
बांका-
जिले में कालाजार के खिलाफ अभियान की शुरुआत शुक्रवार को भुरभुरी स्वास्थ्य उपकेंद्र की सांगा पंचायत के रौताबरण गांव से हुई. छिड़कावकर्मियों ने गांव के घरों की पूरी दीवारों पर सिंथेटिक पायराथायराइड का छिड़काव किया. इसे लेकर छिड़कावकर्मियों को पहले ही प्रशिक्षण दिया जा चुका है.
बांका जिला कालाजार मुक्त होने की ओर-
जिला वेक्टर बोर्न डिजीज कंट्रोल पदाधिकारी डॉ वीके यादव ने बताया कि कालाजार उन्मूलन को लेकर स्वास्थ्य विभाग सजग है. बांका जिला कालाजार मुक्त होने की ओर है. जिले के बहुत ही कम क्षेत्र कालाजार प्रभावित हैं. उन जगहों पर छिड़कावकर्मी अभियान के तहत सिंथेटिक पायराथायराइड का छिड़काव कर रहे हैं. उम्मीद है कि जल्द ही जिला पूरी तरह से कालाजार से मुक्त हो जाएगा. शुक्रवार को अभियान की शुरुआत के दौरान छिड़काव के समय जिला स्वास्थ्य समिति की टीम भी मौजूद रही. टीम के सदस्य छिड़कावकर्मियों को बारीकियों से करा रहे थे अवगत.
 
 
चार प्रखंड के 12 गांव प्रभावित: 
डॉ वीके यादव ने बताया कि जिले के चार प्रखंड के 12 गांव कालाजार प्रभावित हैं. बौसी, धोरैया, बाराहाट और बांका सदर प्रखंड के गांव जिले में कालाजार प्रभावित हैं. जहां अभियान के तहत छिड़कावकर्मी  सिंथेटिक पायराथायराइड का छिड़काव करेंगे.
 
इस बार पूरी दीवार में कराया जाएगा छिड़काव: 
केयर इंडिया के डीपीओ मानस नायक ने बताया कि इस बार घर के अंदर की पूरी दीवार में छिड़काव कराया जा रहा है. पहले दीवार की ऊंचाई की 6 फीट की दूरी तक छिड़काव किया जाता था, लेकिन इस बार पूरी दीवार में छिड़काव कराया जा रहा है. इसलिए प्रभावित गांव के लोग पहले से तैयारी रखें. इस बार के अभियान में यह नई बात है.
 
कालाजार की रोकथाम को लेकर विभाग अलर्ट:
 डॉ वीके यादव ने बताया कि कालाजार की रोकथाम व इसके सौ फीसदी उन्मूलन के लिए स्वास्थ्य विभाग अलर्ट है. प्रभावित प्रखंडों में छिड़काव का काम बौसी प्रखंड से शुरू हो गया है. केयर इंडिया के डीपीओ ने बताया कि छिड़कावकर्मियों को चिह्नित गांव की जानकारी दे दी गई है.
 
घर के पास जलजमाव नहीं होने दें: 
डॉ यादव ने बताया अब दवा का छिड़काव किया जा रहा है. उन्होंने लोगों से अपील की है कि बीमारी से बचाव के लिए घर के आसपास जलजमाव नहीं होने दें. यदि जलजमाव की स्थिति है तो उसमें किरासन तेल डालें. सोते समय मच्छरदानी लगाएं, साथ ही बच्चों को पूरा कपड़ा पहनायें व शरीर पर मच्छररोधी क्रीम लगाएं. कालाजार को देखते हुए अपने घरों की भीतरी दीवारों और बथानों में कीटनाशक का छिड़काव करने व आसपास के हिस्से को सूखा व स्वच्छ रखें.
कालाजार की ऐसे करें पहचान:
डॉ यादव ने बताया कि कालाजार एक वेक्टर जनित रोग है. कालाजार के इलाज में लापरवाही से मरीज की जान भी जा सकती है. यह बीमारी लिश्मैनिया डोनोवानी परजीवी के कारण होता है. कालाजार एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति तक फैलने वाली बीमारी है. यदि व्यक्ति को दो सप्ताह से बुखार और तिल्ली और जिगर बढ़ गया हो तो यह कालाजार के लक्षण हो सकते हैं. साथ ही मरीज को भूख न लगने, कमजोरी और वजन में कमी की शिकायत होती है. यदि इलाज में देरी होती है तो हाथ, पैर व पेट की त्वचा काली हो जाती है. बाल व त्वचा  की परत भी सूखकर झड़ते हैं. उन्होंने बताया कालाजार के संभावित लक्षण दिखने पर क्षेत्र की आशा से तुरंत संपर्क करना चाहिए तथा रोगी को किसी नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र ले जाना चाहिए.

रिपोर्टर

  • Dr. Rajesh Kumar
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