फाइलेरिया से मौत नहीं होती, लेकिन जीवनभर के लिए बना देता है दिव्यांग


यह एक संक्रमित बीमारी है, इससे बचाव के लिए दवा खाना जरूरी

घर के आसपास गंदे पानी को जमा नहीं होने दें, मच्छरों से करें बचाव

बांका, 2 दिसंबर

आज दिव्यांग दिवस है। इस बार की थीम पूर्ण सहभागिता और समानता है। बहुत सारे लोग जन्मजात दिव्यांग होते हैं, लेकिन कुछ लोग जन्म के बाद भी इसकी चपेट में आ जाते हैं। ऐसे लोगों में फाइलेरिया पीड़ित बड़ी संख्या में शामिल हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के मुताबिक फाइलेरिया दुनिया की दूसरे नंबर की ऐसी बीमारी है जो बड़े पैमाने पर लोगों को दिव्यांग बना रही है। 

फाइलेरिया होने से लोग न सिर्फ आर्थिक और शारीरिक रूप से, बल्कि मानसिक तौर पर भी परेशान होते हैं। इस बात से अंदाजा लगाया जा सकता है कि यह कितनी खतरनाक बीमारी है। ऐसे में लोगों को खुद को और अपने परिजनों को मच्छरों से बचाना होगा। डीएमओ डॉ. बीरेंद्र कुमार यादव ने बताया कि फाइलेरिया एक खतरनाक बीमारी है और इससे इंसान की मृत्यु नहीं होती है पर जीवन भर के लिए वह दिव्यांग जरूर हो जाता है। यह बीमारी संक्रमित होती है और यह गंदे पानी में बैठने वाले मच्छरों के काटने से होती है और फाइलेरिया के बचाव के लिए फाइलेरिया की दवा खाना जरूरी है।

नदजीकि स्वास्थ्य केंद्र पर जाकर ले सकते हैं दवाः  वेक्टर रोग नियंत्रण पदाधिकारी आरिफ इकबाल ने बताया कि पिछले दिनों 20 सितंबर 20 नवंबर तक जिले में फाइलेरिया को लेकर अभियान चला था। इस दौरान दो से पांच वर्ष के बच्चों को डीईसी और अल्बेंडाजोल की एक गोली, छह से 14 वर्ष तक के बच्चों को डीईसी की दो और अल्बेंडाजोल की एक गोली और 15 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों को डीईसी की तीन और अल्बेंडाजोल की एक गोली खिलाई गई। अल्बेंडाजोल की गोली लोगों को चबाकर खिलाई गई। दो वर्ष से कम उम्र के बच्चों और गर्भवती महिलाओं को कोई दवा नहीं खिलायी गई। साथ ही गंभीर रूप से बीमार लोगों को भी दवा नहीं खिलाई गई। जो लोग उस दौरान दवा नहीं खा सके या फिर छूट गए, वह अपने नजदीकि स्वास्थ्य केंद्र जाकर दवा ले सकते हैं। दवा सेवन के बाद किसी तरह के सामान्य साइड इफ़ेक्ट से घबराने की जरूरत नहीं है। अमूमन जिनके अंदर फाइलेरिया के परजीवी होते हैं, उनमें ही साइड इफ़ेक्ट देखने को मिलते हैं। साइड इफ़ेक्ट सामान्य होते हैं, जो प्राथमिक उपचार से ठीक भी हो जाते हैं।

क्यूलेक्स मच्छर के काटने से होता है फाइलेरियाः जिला मलेरिया पदाधिकारी (डीएमओ) ने बताया कि कि फाइलेरिया क्यूलेक्स मच्छर के काटने से होता है। क्यूलेक्स मच्छर घरों के दूषित स्थलों, छतों और आसपास लगे हुए पानी में पाया जाता है। इससे बचाव के लिए लोग घरों के आसपास गंदगी और पानी नहीं जमने देना चाहिए। घर के आसपास साफ-सफाई रखनी चाहिए। बुखार आना, शरीर में लाल धब्बे या दाग होना, शरीर के किसी भी अंग में सूजन होना इसके लक्षण हैं। ज्यादातर इस बीमारी से ग्रसित लोगों के पांव या हाइड्रोसिल में सूजन हो जाती है। लोग इस बीमारी से सुरक्षित रह सकें, इसके लिए सरकार हर साल में एक बार एमडीए अभियान चलाती है। इससे लोगों को जरूरी दवा उपलब्ध होती है, जो इस बीमारी को रोकने में सहायक होती है।

रिपोर्टर

  • Dr. Rajesh Kumar
    Dr. Rajesh Kumar

    The Reporter specializes in covering a news beat, produces daily news for Aaple Rajya News

    Dr. Rajesh Kumar

संबंधित पोस्ट