मातृ एवं शिशु मृत्यु दर में कमी लाने के लिए प्रसव पूर्व जाँच जरूरी:सीएस

- महिलाओं को करें जागरूक  

- जिला स्वास्थ्य समिति लखीसराय के सभागार में मातृ-शिशु मृत्यु से संबंधित प्रशिक्षण का आयोजन 

- प्रशिक्षण में सभी चिकित्सा पदाधिकारी, बीसीएम, केयर इंडिया की टीम के साथ निजी स्वास्थ्य स्थानों के चिकित्सक भी हुए शामिल


लखीसराय, 10 दिसंबर।

शुक्रवार को जिला स्वास्थ्य समिति लखीसराय के सभागार हाॅल में मातृ-शिशु मृत्यु से संबंधित एक दिवसीय प्रशिक्षण आयोजित किया गया। जिसमें जिले के सभी स्वास्थ्य संस्थानों के चिकित्सा पदाधिकारी, बीसीएम, केयर इंडिया की टीम के साथ-साथ शहर के निजी स्वास्थ्य स्थानों के चिकित्सक भी शामिल हुए। प्रशिक्षण की अध्यक्षता सिविल सर्जन डाॅ देवेन्द्र चौधरी ने की। प्रशिक्षण में मातृ एवं मृत्यु दर पर किस तरह सर्विलांस रिपोर्टिंग हो, इस पर विस्तृत चर्चा की गई। वहीं, सिविल सर्जन ने कहा, शिशु मृत्यु दर में कमी लाने के लिए बेहतर प्रसव एवं उचित स्वास्थ्य प्रबंधन जरूरी है। प्रसव पूर्व जाँच से ही गर्भस्थ शिशु के स्वास्थ्य की सही जानकारी मिलती है। गर्भावस्था में बेहतर शिशु विकास एवं प्रसव के दौरान होने वाले रक्तस्राव के प्रबंधन के लिए महिलाओं में पर्याप्त मात्रा में खून होना आवश्यक होता है। जिसमें प्रसव पूर्व जाँच की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। एनीमिया प्रबंधन के लिए प्रसव पूर्व जाँच के प्रति महिलाओं की जागरूकता न सिर्फ एनीमिया रोकथाम में सहायक होती है बल्कि, सुरक्षित मातृत्व की आधारशिला भी तैयार करती है। ऐसे में प्रसव पूर्व जांच की महत्ता और अधिक बढ़ जाती है, क्योंकि यह मातृ एवं शिशु मृत्यु दर में कमी लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। इसलिए, महिलाओं को इसके लिए जागरूक करने की जरूरत है। क्योंकि, मातृ-मृत्यु दर को कम करने, अर्थात रोकने के लिए जागरूकता बेहद जरूरी है। वहीं, उन्होंने कहा, मातृ-मृत्यु की रिपोर्टिंग भी सुनिश्चित रूप से करें। ताकि घटना के कारणों की जानकारी मिल सके और फिर कारणों को दूर करने के लिए आवश्यक पहल की जा सके। 


- मातृ-मृत्यु दर में कमी लाने के लिए किए जा रहे हर जरूरी प्रयास : 

प्रशिक्षण के दौरान केयर इंडिया के मास्टर प्रशिक्षक राकेश कुमार ने कहा, मातृ-मृत्यु दर में कमी लाने के हर जरूरी प्रयास किए जा रहे हैं। बाबजूद इसके जागरूकता के अभाव में हमारे प्रदेश में प्रति एक लाख प्रसव पर 149 महिलाओं की मौत हो जाती है। जिसे हर हाल में रोकने करने की जरूरत है। वहीं, उन्होंने कहा, सुमन कार्यक्रम के तहत शत-प्रतिशत मातृ मृत्यु दर की रिपोर्टिंग का लक्ष्य रखा गया है। इसके लिए सबसे पहले मातृ-मृत्यु की सूचना देने वाले व्यक्ति को एक हजार रुपये प्रोत्साहन राशि के रूप में दिया जाता है। जबकि, मृत्यु के 24 घंटे के अंदर स्थानीय पीएचसी में सूचना देने पर आशा कार्यकर्ता को दो सौ रुपये की प्रोत्साहन राशि दी जाएगी। इसके अलावा इस संबंध में किसी प्रकार की परेशानियाँ होने पर 104 टाॅल फ्री नंबर काॅल कर शिकायत दर्ज करा सकते हैं। वहीं, उन्होंने कहा, मातृ-मृत्यु को रोकने के लिए हर माह नौ तारीख को सभी स्वास्थ्य संस्थानों में प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान के तहत गर्भवती महिलाओं की स्वास्थ्य जाँच की जाती है, जो मातृ-शिशु मृत्यु दर को रोकने के लिए सबसे बेहतर अभियान है। वहीं, उन्होंने कहा, अगर इस अभियान में कोई प्राइवेट चिकित्सक भाग लेंगे तो उन्हें दो हजार रुपये दिए जाएँगे। वहीं, उन्होंने कहा, 80 प्रतिशत प्रसव सरकारी एवं निजी अस्पतालों में ही होती है। ऐसे में अगर सही जागरूकता हो तो 80 प्रतिशत मातृ एवं शिशु मृत्यु दर को हम रोक सकते हैं। 05 प्रतिशत महिलाओं की मौत एएनसी सर्विस नहीं मिलने के कारण होती है। जबकि, 20 प्रतिशत मौतें प्रसव के दौरान और 50 प्रतिशत मौतें प्रसव के बाद 24 घंटे के दौरान होती है। जिसे सही प्रशिक्षण और सही सर्विलांस की बदौलत रोकी जा सकती है।

रिपोर्टर

  • Dr. Rajesh Kumar
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