बिहार सरकार बच्चों के सामने आये नयी चुनौतियों का सामना करने के लिए कृतसंकल्प है – आमिर सुभानी


बाल अधिकारों के क्षेत्र में काफी प्रगति हुई है किन्तु वंचित तबकों के बच्चे-बच्चियों के लिए जो आवश्यक है वो हम साथ मिलकर ही कर सकते हैं – नफ़ीसा बिंते शफ़ीक


युनिसेफ की 75वीं वर्षगांठ समारोह में शामिल हुए सामाजिक संगठनों एवं सरकारी विभागों के अधिकारी, मीडियाकर्मी एवं बच्चे


 


11 दिसम्बर 2021, पटना


 


युनिसेफ के 75 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में आज युएन हाउस स्थित युनिसेफ के राज्य कार्यालय में एक विशेष आयोजन किया गया। इस आयोजन का मुख्य आकर्षण एक यात्रा थी, जिसमें चित्रों की प्रदर्शनी के माध्यम से युनिसेफ की 75 वर्षों की यात्रा को दर्शाया गया। इस प्रदर्शनी में स्वास्थ्य एवं टीकाकरण, पोषण, शिक्षा, साफ़-सफाई एवं स्वच्छता, बाल सुरक्षा एवं भागीदारी सुनिश्चित करने की दिशा में महत्वपूर्ण कार्यों की प्रदर्शित किया गया। इस मौके को यादगार बनाने के लिए आमिर सुभानी (डेवलपमेंट कमिश्नर, बिहार) ने नफीसा बिंते शफीक (यूनिसेफ बिहार प्रमुख), तथा अन्य अतिथियों एवं बच्चों के साथ मिलकर युनिसेफ कैंपस में वृक्षारोपण किया। अतिथियों और बच्चों ने इसके बाद साथ मिलकर इस अवसर पर 75 गुब्बारे उड़ाए और केक काटा।


 


अतिथियों का स्वागत करते हुए नफीसा बिंते शफीक, ने कहा कि ये युनिसेफ के लिए एक गर्व का मौका है जब हम अपनी सफलताओं में अपने सभी साझा हितधारकों के साथ मिलकर जश्न मना रहे हैं। ये एक ऐसा अवसर भी है जब हम पीछे मुड़कर ये देख सकते हैं कि कैसे आगे के लिए हम बच्चों को और बेहतर भविष्य देने के लिए काम कर सकते हैं। उन्होंने बताया कि भारत में 1949 में और 1980 के दशक में बिहार में यूनीसेफ ने काम करना शुरू कर दिया था। सरकार और अन्य हितधारकों के साथ साझा प्रयास करते हुए हमने टीकाकरण को 1992 के करीब 10% से आज के लगभग 70% पर पहुँचाया है। इसी दौर में महिलाओं की साक्षरता को देखें तो 1981 में जो साक्षरता दर केवल 17% प्रतिशत के लगभग थी वो आज 2011 की जनगणना में 51% तक जा पहुंची है। स्वच्छता के क्षेत्र में भी हमने नए कीर्तिमान स्थापित किये हैं।


 


उन्होंने कहा कि यूनिसेफ अगले पांच वर्षों के लिए लक्ष्य निर्धारण एवं रणनीति तैयार करने का कार्य पूरा कर चुका है। कोविड के दौर में कई ऐसे काम जो बच्चों के लिए किये गए थे, वो ख़त्म हो गए और अगर हमने फ़ौरन कार्य शुरू नहीं किया तो हम बच्चों का एक पूरा दशक खो देंगे। उन्होंने अपनी बात समाप्त करते हुए बाल-अधिकारों का मुद्दा उठाया और कहा कि हमें ये सुनिश्चित करना होगा कि किसी भी बच्ची का विवाह 18 वर्ष से पहले न हो। उन्होंने कहा कि राज्य का विकास तभी संभव है जब बच्चे स्वस्थ, पोषित, सुरक्षित और जागरूक हों – “बच्ची-बच्चा आगे तो बिहार आगे”।


 


अपने भाषण में मुख्य अतिथि आमिर सुभानी (डेवलपमेंट कमिश्नर, बिहार) ने कहा कि कैसे सरकारी योजनाओं से बिहार के परिवार, जिसमें बच्चे भी शामिल हैं, लाभान्वित होते हैं। उन्होंने “मुख्यमंत्री साइकिल योजना” और “मुख्यमंत्री पोशाक योजना” जैसी योजनाओं का उदाहरण देते हुए बताया कि कैसे इन योजनाओं से स्कूल छोड़ने वाले या छोड़ गए बच्चे स्कूलों में वापस आये। उन्होंने ये भी बताया कि सर्कार पहले ही एक बाल बजट को 2013-14 में लागू कर चुकी है। पिछले कुछ वर्षों में बच्चों के मुद्दों पर सरकार और अधिक सक्रीय हुई है जिससे उनकी बेहतरी की योजनायें बढ़ी। बिहार में बच्चों के लिए एक अलग “स्टेट प्लान ऑफ़ एक्शन” मौजूद है और सभी सरकारी विभाग उसे लागू करवाने की दिशा में कार्यरत हैं।


 


इसके आगे एक सामूहिक परिचर्चा का सञ्चालन प्राची प्रियदर्शनी एवं एंजेल वर्मा ने किया। इन दोनों बाल-रिपोर्टरों को यूनिसेफ एवं किलकारी ने प्रशिक्षण दिया था। उनके प्रश्नों का उत्तर देते हुए नफीसा बिंते शफीक ने युनिसेफ के साथ अपनी 19 वर्षों की यात्रा के बारे में बताया। श्री विनोदानंद झा (निदेशक, प्रशिक्षण एवं शोध, शिक्षा विभाग) ने कहा कि शुरू में टीवी के माध्यम से शिक्षा जारी रखने के कार्यक्रमों का प्रसारण किया गया। जब ये पाया गया कि इनकी पहुँच 12-13 लाख घरों तक ही हो पा रही है तो सरकार ने दूसरे माध्यम भी चुने। आज इन्टरनेट आधारित मोबाइल एप्प को बनाकर लागू किया जा चुका है।


 


नए वाले कोविड के प्रकार की चर्चा करते हुए श्री केशवेन्द्र (एईडी, राज्य स्वास्थ्य समिति) ने कहा कि ऐसा देखा गया है कि जब कोविड का प्रकोप बढ़ता है तब तो लोग काफी ज्यादा ध्यान रखते हैं, मगर जैसे ही असर कम होता दिखता है, लोग ध्यान देना बंद कर देते हैं। इसलिए लोगों में जागरूकता बढ़ाने, ध्यान न देने के नातिजों के बारे में समझाने के प्रयास लगातार जारी हैं। इसके अलावा जांच, इलाज और तैयारी के स्तर पर भी कोई कमी नहीं आई है। इस मौके पर श्री एसके मालवीय (एडीजी, सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय) ने कहा कि बच्चों को सूचना का अधिकार देना एक कठिन प्रश्न है। वो युनिसेफ के साथ मिलकर सेमिनारों के माध्यम से पत्रकारों में, बच्चों के मुद्दों के प्रति संवेदनशीलता बढ़ाने का प्रयास कर रहे हैं। श्री बालामुरुगन डी (सेक्रेटरी, ग्रामीण विकास) ने कहा कि कोविड के दौर में वंचित तबकों के परिवारों तक भोजन पहुंचे ये सुनिश्चित किया गया। खाने की कमी से भूखमरी की स्थिति न हो इसका सरकारों ने ध्यान रखा है।


 


धर्मगुरु सैयद शमिमुद्दीन मुन्नैमी, जो बिहार इंटरफेथ फोरम का प्रतिनिधित्व कर रहे थे, ने कहा कि निजी और सरकारी दोनों तरह के मदरसे, साथ ही गुरूद्वारे, मंदिर और गिरजाघर भी हाशिये पर के वर्ग के लिए कार्य करते हैं। अब जब सरकार भी हमारे प्रयासों को पहचानने और उनकी सराहना करने लगी है तो हम साथ मिलकर बेहतर भविष्य की अपेक्षा कर सकते हैं।


 


युनिसेफ के साथ कार्य करने वाले अन्य हितधारक समूहों ने भी इस अवसर पर अपने विचार और अनुभव साझा किये। निकू झा ने बाल अधिकारों पर कविता पाठ किया। नालंदा से आई मीना मंच की लड़कियों ने मीना गीत प्रस्तुत किया। अनिषा एवं सिमरन ने सीऍफ़एसएस और एस4डी जैसे माध्यमों से कक्षाओं और सीखने को रोचक बनाए जाने की बात की तथा कहा कि अब वो शिक्षकों के साथ अधिक सहज हैं। मशाल शिक्षण केंद्र, शेखपुरा की युवतियों ने दोबारा पढ़ाई शुरू करने और दूसरे बच्चों को पढ़ाने के अपने अनुभवों को बताया। सुभाष कुमार और चीकू कुमार ने कठपुतली का कार्यक्रम दिखाया। मदरसा के छात्र शारिक ने बच्चों के भले के लिए इक़बाल का लिखा गीत (दुआ) पढ़ा। संज्ञा पलक ने बताया कि मोबाइल और इन्टरनेट के दौर में बच्चों को कैसे सुरक्षित रहना चाहिए। आशा किरण की बच्चियों ने “क्योंकि मैं लड़की हूँ, मुझे पढ़ना है” नाम की प्रस्तुति दी।


धन्यवाद ज्ञापन करते हुए श्री शिवेंद्र पंड्या (प्रोग्राम मेनेजर, यूनिसेफ) ने कहा कि बच्चों को ऐसे प्रश्न पूछते देखना उत्साहवर्धक है। हम कदम दर कदम बाल अधिकारों की और बढ़ रहे हैं। सुश्री नम्रता ने मंच सञ्चालन किया और सामाजिक संगठनों, हितधारकों, स्कूल-कॉलेज से आये छात्र छात्राओं, शिक्षाविदों, के अलावा करीब 500 लोगों ने इस कार्यक्रम में भाग लिया।

रिपोर्टर

  • Dr. Rajesh Kumar
    Dr. Rajesh Kumar

    The Reporter specializes in covering a news beat, produces daily news for Aaple Rajya News

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