चुनौतियों के बाबजूद जिले में संचालित है पोषण पुनर्वास केंद्र, मिल रही है बेहतर सुविधा 

 
 
- एडमिट बच्चे को मिलती है बेहतर स्वास्थ्य सुविधा का लाभ, दी जाती है आवश्यक चिकित्सा परामर्श
- अति कुपोषित बच्चों को चिह्नित कर भेजा जाता है पोषण पुनर्वास केंद्र 
 
लखीसराय, 21 जनवरी-
कोविड-19 के कारण उत्पन्न हुई तमाम चुनौतियों और समस्याओं के बाबजूद जिले में पोषण पुनर्वास केंद्र (एनआरसी) का संचालन जारी है। तमाम चुनौतियों के  बाबजूद स्थानीय स्वास्थ्य विभाग पोषण पुनर्वास केंद्र में मिलने वाली तमाम सुविधाओं का बेहतर तरीके से प्रदान कराने को लेकर अग्रसर है। जिसे सुनिश्चित करने को लेकर पोषण पुनर्वास केंद्र का संचालन जारी है। जहाँ बेहतर सुविधा के साथ-साथ उचित चिकित्सा परामर्श भी मिल रही है। ताकि केंद्र में एडमिट बच्चे जल्द से जल्द स्वस्थ होकर अपने घर वापस लौट सकें और कुपोषण की समस्या से स्थाई रूप से निजात मिल सके। इसके लिए केंद्र में तैनात मेडिकल टीम द्वारा बच्चों का उचित ख्याल रखा जा रहा है। 
 
- कुपोषित बच्चों के लिए संजीवनी है पोषण पुर्नवास केंद्र : 
सिविल सर्जन डॉ देवेन्द्र चौधरी ने बताया, राज्य सरकार के निर्देशानुसार जिले में भी बच्चों में पोषण की कमी से निपटने के लिए पोषण पुनर्वास केंद्र की स्थापना की गई है। जो कुपोषण की समस्या से पीड़ित बच्चों के बीच संजीवनी साबित हो रही है। वहीं, उन्होंने बताया, कुपोषण की समस्या से जूझ रहे बच्चों को 14 दिनों के लिए पोषण पुनर्वास केंद्र में रखा जाता है। जहाँ कुपोषित बच्चों को डाक्टर की सलाह के अनुसार ही खानपान का विशेष ख्याल रखा जाता है। यहां रखे गए बच्चे यदि 14 दिनों के अंदर कुपोषण से मुक्त नहीं हो पाते हैं तो वैसे बच्चों को एक माह तक विशेष रूप से देखभाल की जाती है। पोषण पुर्नवास केंद्र में मिलने वाली सभी सुविधाएं नि:शुल्क होती है। यहां भर्ती हुए बच्चों के वजन में न्यूनतम 15 प्रतिशत की वृद्धि के बाद ही उसे यहां से डिस्चार्ज किया जाता है। वहीं, उन्होंने बताया, कोविड प्रोटोकॉल के पालन के साथ जरूरतमंद बच्चों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध कराई जा रही है। 
 
- पोषण पुर्नवास केंद्र में भर्ती होने के लिए तय किए गए है ये मानक :
डीपीसी सुनील कुमार ने बताया, कुपोषण के शिकार बच्चे को पोषण पुनर्वास केंद्र (एनआरसी) में भर्ती करने के लिए कुछ मानक निर्धारित किए गए हैं। इसके तहत बच्चों की विशेष जांच, जैसे उनका वजन व बांह आदि का माप किया जाता है। इसके साथ ही छह माह से अधिक एवं 59 माह तक के ऐसे बच्चे जिनकी बांई भुजा 11.5 सेमी हो और उम्र के हिसाब से लंबाई व वजन न बढ़ता हो वो कुपोषित माने जाते है। वैसे बच्चों को ही पोषण पुनर्वास केंद्र में भर्ती किया जाता है। इसके साथ ही दोनों पैरों में पिटिंग एडीमा हो तो ऐसे बच्चों को भी यहां पर भर्ती किया जाता है। 
 
- इन मानकों का करें पालन और कोविड-19 संक्रमण से रहें दूर : 
- मास्क का उपयोग और शारीरिक दूरी का पालन जारी रखें।
- साफ-सफाई का विशेष ख्याल रखें और सैनिटाइजर का उपयोग करें।
- बारी आने पर निश्चित रूप से वैक्सीनेशन कराएं और दूसरों को भी प्रेरित करें।
- अनावश्यक घरों से बाहर नहीं निकलें और भीड़-भाड़ वाले जगहों से परहेज करें।

रिपोर्टर

  • Dr. Rajesh Kumar
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