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परिवार नियोजन क्यों जरूरी है, पहले दें इसकी जानकारीः सिविल सर्जन
परिवार नियोजन को लेकर कब-कब करनी है काउंसिलिंग, इसकी दी जानकारी
सदर अस्पताल में एएनएम को परिवार नियोजन को लेकर दिया गया प्रशिक्षण
भागलपुर, 19 फरवरी
परिवार नियोजन क्यों जरूरी है, काउंसिलिंग के दौरान सबसे पहले इसकी जानकारी दें। आरोग्य दिवस, परिवार नियोजन दिवस और प्रधानमंत्री मातृत्व जांच अभियान के दौरान लोगों को परिवार नियोजन को लेकर काउंसिलिंग अवश्य करें। काउसिलिंग के दौरान लोगों को अंतरा और छाया के बारे में सही-सही जानकारी दें, ताकि लोग इसका इस्तेमाल कर परिवार नियोजन कर सके। उक्त बातें सिविस सर्जन डॉ. उमेश कुमार शर्मा ने शनिवार को सदर अस्पताल में एएनएम के प्रशिक्षण के दौरान कही। उन्होंने प्रशिक्षण ले रही एएनएम को क्षेत्र में जाकर लोगों को परिवार नियोजन को लेकर लागातार जागरूक करते रहने की बात कही। उन्होंने कहा कि अस्थायी सामग्री का इस्तेमाल कर लोग परिवार नियोजन कर सकते हैं। इसलिए क्षेत्र में लागातार लोगों की काउसिलिंग होती रहनी चाहिए। साथ ही परिवार नियोजन से संबंधित सामग्री का भी वितरण करते रहने चाहिए। परिवार नियोजन को लेकर लोग जितना ज्यादा जागरूक होंगे, उतना ही लोगों पर इसका असर होगा। मौके पर डीपीएम, फैजान आलम अशर्फी, मास्टर ट्रेनर डॉ. अनुपमा सहाय, डीसीएम जफरिल इस्लाम, केयर इंडिया के एफपीसी जितेंद्र कुमार सिंह और आलोक कुमार भी मौजूद थे। शनिवार को प्रशिक्षण के एएनएम को अंतरा के बारे में बताया गया। रविवार को छाया के इस्तेमाल और उससे होने वाले फायदे के बारे में बताया जाएगा।
माहवारी के सात दिन के अंदर लगाएं अंतरा का इंजेक्शनः प्रशिक्षण के दौरान मास्टर ट्रेनर डॉ. अनुपमा सहाय ने एएनएम को क्षेत्र में जाकर लोगों को अंतरा के इस्तेमाल करने के तरीके की जानकारी देने को कहा। उन्होंने कहा कि परिवार नियोजन के लिए अंतरा बहुत ही सरल माध्यम है। अंतरा का इंजेक्शन लगाते वक्त कुछ बातों का ध्यान रखना जरूरी है। माहवारी के सात दिनों के अंतर ही अंतरा का इंजेक्शन लगाना होता है। साथ ही डिलेवरी होने के 42 दिनों के बाद ही अंतरा का इंजेक्शन लगाना चाहिए। इसका कोई साइड इफेक्ट नहीं होता है। इंजेक्शन लगने के बाद कभी-कभी ब्लीडिंग ज्यादा हो जाता है, जिससे आसानी से छुटकारा मिल जाता है।
दो बच्चों के बीच तीन साल के अंतराल के लिए अंतरा बेहतर साधनः एएनएम को प्रशिक्षण देते हुए मास्टर ट्रेनर अनुपमा सहाय ने बताया कि दो बच्चों के बीच तीन साल का अंतराल जरूरी होता है। इससे जच्चा और बच्चा दोनों स्वस्था रहता है। साथ ही बच्चों की रोग प्रतिरोधक क्षमता भी मजबूत होती है, जिससे वह भविष्य में बीमारियों की चपेट में आने से बचा रहता है। अगर बीमारी की चपेट में आ भी गया तो उससे वह आसानी से उबर जाता है। इसके लिए बेहतर साधन है। साल में 4 बार अंतरा का इंजेक्शन लगाकर दो बच्चों के बीच आसानी से तीन साल का अंतराल रखा जा सकता है। अंतरा का असर तीन महीने तक होता है।
रिपोर्टर
The Reporter specializes in covering a news beat, produces daily news for Aaple Rajya News
Dr. Rajesh Kumar