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मंकी पॉक्स के लक्षणों की सभी लोग रखें जानकारी, इम्युनिटी विकसित करने वाले भोज्य पदार्थो का करें सेवन
- मंकी पॉक्स का जोखिम नवजात शिशुओं, बच्चों तथा कमजोर इम्युनिटी वाले लोगों में होता है अधिक
- पर्सनल हाइजीन और साफ सफाई का रखें विशेष ध्यान
- 1958 में बंदरों में मिला था मंकी पॉक्स, इंसानों में संक्रमण का पहला मामला कांगों में मिला था
मुंगेर, 24 मई । विश्व में अभी महामारी का दौर चल रहा है। कोविड के बाद एक नई बीमारी मंकीपॉक्स सामने आई है। अफ्रीकी देशों में यह सामान्य है लेकिन अब यह दुनिया के अन्य देशों में भी फैल रहा है। हालांकि इस रोग का व्यापक प्रभाव नहीं ,लेकिन इस रोग से बचाव के लिए लोगों में जागरूकता आवश्यक है।
जिला के प्रभारी सिविल सर्जन डॉ. आनंद शंकर शरण सिंह ने बताया कि मंकी पॉक्स वायरस जानवरों से फैलने वाली एक बीमारी है । मूल रूप से इसके वायरस जानवरोें में ही होते है। विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट के मुताबिक मंकी पॉक्स कई तरह के बंदरों व अन्य जानवरों में पाया जाता है।
उन्होंने बताया कि सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रीवेंशन के मुताबिक मंकी पॉक्स के विभिन्न लक्षण चिह्नित किये गये हैं। मंकी पॉक्स के लक्षणों में तेज बुखार आना, तेज सिरदर्द होना, शरीर में सूजन, त्वचा पर लाल चकत्ते और कमजोरी आदि शामिल हैं। इस बीमारी के लक्षणों के सामने आने में एक से तीन दिन का समय लगता और दो से चार सप्ताह में यह बीमारी दूर हो जाती है। वैसे तो मंकी पॉक्स एक संक्रामक बीमारी है । इसका संक्रमण एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति तक हो सकता है। इस बीमारी में एक संक्रमित व्यक्ति के कपड़ा तथा दूसरी इस्तेमाल की जाने वाली वस्तुओं से भी संक्रमण फैलता है। हालांकि स्वास्थ्य विशेषज्ञों का मानना है कि मंकी पॉक्स के असर कम गंभीर होते और इसका जोखिम अधिक नहीं होता है। इस संबंध में विश्व स्वास्थ्य संगठन का कहना है कि मंकी पॉक्स का जोखिम नवजात शिशुओं, बच्चों तथा कमजोर इम्युनिटी वाले लोगों के लिए अधिक नुकसानदेह है।
मंकी पॉक्स बीमारी से बचने के लिए इन बातों का रखें ध्यान :
उन्होंने बताया कि इस संक्रामक बीमारी से बचने के लिए जानवरों से दूरी बनाकर रखना आवश्यक है। इसके अलावा मंकी पॉक्स संक्रमित या दूसरे बीमार जानवरों से संक्रमित व्यक्ति के इस्तेमाल की जाने वाली वस्तुओं का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए । इस बीमारी से संक्रमित व्यक्ति को आइसोलेशन में रखना आवश्यक है। इसके साथ ही साफ- सफाई के नियमों का भी विशेष तौर पर पालन करना आवश्यक है। इसके साथ ही सभी लोग अपने हाथों को नियमित रूप से अल्कोहल वाले सैनिटाइजर का इस्तेमाल करें या साफ पानी साबुन से एक निश्चित अंतराल के बाद अपने हाथों को साफ करें। इसके अलावा अपने भोजन में इम्युनिटी विकसित करने वाले भोजन अधिक मात्रा में लें।
कांगों में मिला था मंकीपॉक्स का पहला मामला :
उन्होंने बताया कि 1950 के दशक में बंदरों में पाया जाने वाला मंकी पॉक्स 1970 तक इंसानों तक फैलने लगा था। इंसानों तक संक्रमण का पहला मामला कांगों में मिला था। इसके बाद अफ्रीकी देशों के लिए यह संक्रमण सामान्य रूप से समय- समय पर फैलता रहा। इसके अलावा यह अन्य जानवरों को भी होने लगा था। हालांकि वर्तमान में यह कई देशों के लिए नया रोग माना जा रहा है लेकिन वैश्विक स्तर के बायोसाइन्स शोध संस्थानों के शोधकर्ताओं ने कहा है कि मंकी पॉक्स के पूर्व के अनुभव हैं। इसके लिए चेचक के टीके व उपचार को भी प्रभावी माना गया है।
रिपोर्टर
The Reporter specializes in covering a news beat, produces daily news for Aaple Rajya News
Dr. Rajesh Kumar