26 साल की उम्र में सात बार रक्तदान कर लोगों का बचाया जीवन

 
-पिछले चार साल से बढ़-चढ़कर रक्तदान में ले रहे हैं भाग
-अमरपुर के रहने वाले सुब्रत चौधरी रक्तदान करने में आगे
बांका, 14 जून-
14 जून मंगलवार को जिलेभर में रक्तदान दिवस मनाया गया। इसे लेकर जागरूकता कार्यक्रम और रक्तदान शिविर भी लगाया गया। मकसद यही था कि रक्तदान कर लोग दूसरे का जीवन बचाने में अहम योगदान निभाएं। लेकिन कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जो स्वतः जागरूक होकर इस तरह के सामाजिक काम में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेते हैं। अमरपुर प्रखंड के सलेमपुर गांव के सुब्रत चौधरी इसी तरह के युवा हैं। अभी 26 साल उनकी उम्र हो रही है और उन्होंने सात बार रक्तदान किया है। जब जहां मौका मिला, लोगों को रक्त देने में आगे रहे। भागलपुर के मायागंज से लेकर अमरपुर रेफरल अस्पताल में रक्तदान कर चुके हैं। अभी टीसीएस में नौकरी कर रहे हैं। कोरोना काल की वजह से वर्क फ्रॉम होम चल रहा है। घर में रहते हुए भी वह रक्तदान करने में आगे रहते हैं।
सुब्रत कहते हैं कि रक्तदान करना जीवनदान  करने जैसा है। जब हमें इस बात का अहसास हुआ कि रक्तदान कर दूसरों का जीवन बचाया जा सकता है तो मैं इस काम में लग गया। अभी तो मैं नौकरी कर रहा हूं, लेकिन मैं छात्र जीवन से ही इस काम में हिस्सा ले रहा हूं। रक्तदान करने से किसी तरह का कोई नुकसान नहीं होता है। शरीर में अपने आप रक्त का निर्माण हो जाता है। इसलिए मैं लगातार इस काम में आगे रहता हूं। इसके लिए मैं दूसरे लोगों को भी जागरूक करने का काम करता हूं।
अपने को तो सभी देते हैं रक्त, दूसरे को देकर मिलती है ज्यादा संतुष्टिः सुब्रत कहते हैं कि सबसे ज्यादा खुशी मुझे उस वक्त मिली जब कोरोना की दूसरी लहर में भागलपुर के खंजरपुर की रहने वाली एक महिला को रक्त दिया। सुब्रत कहते हैं कि महिला को रक्त की सख्त जरूरत थी, लेकिन कोरोना की दूसरी लहर चरम पर थी  इस वजह से लोग घरों से भी नहीं निकल रहे थे। ऐसे में महिला की परेशानी और बढ़ती जा रही थी। इसी दौरान मुझे एक मित्र के जरिये इसकी जानकारी मिली। मैं तत्काल मायागंज अस्पताल गया और उस महिला के लिए मैंने रक्त दिया। इसके अलावा मैंने अपने पिताजी को भी जरूरत पड़ने पर रक्त दिया है। अपने घर के सदस्य को तो हर कोई रक्त देते हैं, लेकिन किसी पराये को रक्त देकर उसकी जान बचाना ज्यादा संतुष्टि प्रदान करता है।
रक्तदान करने से नहीं होता कोई नुकसानः अमरपुर सदर अस्पताल के प्रभारी रहे और अभी वर्तमान में एसीएमओ डॉ. अभय प्रकाश चौधरी कहते हैं कि रक्तदान करने में किसी तरह का कोई संकोच नहीं करना चाहिए। रक्तदान करना किसी को जीवनदान देने जैसा है। किसी भी स्वस्थ व्यक्ति को रक्त देना चाहिए। लोगों को संकोच नहीं करना चाहिए। रक्त लेने से पहले डॉक्टर पूरी तरह जांच कर लेते हैं। अगर वह व्यक्ति रक्त देने लायक होता है तभी उसका रक्त लिया जाता है। अगर किसी को कोई बीमारी होती है और वह रक्त देने लायक नहीं रहता है तो उसका रक्त नहीं लिया जाता है। इसलिए रक्तदान करने में किसी तरह की झिझक नहीं होनी चाहिए।
 
 
 

रिपोर्टर

  • Dr. Rajesh Kumar
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