Breaking News |
- World Wide
- International
- National
- State
- Union Territory
- Capital
- Social
- Political
- Legal
- Finance
- Education
- Medical
- Science & Tech.
- Information & Tech.
- Agriculture
- Industry
- Corporate
- Business
- Career
- Govt. Policy & Programme
- Health
- Sports
- Festival & Astrology
- Crime
- Men
- Women
- Outfit
- Jewellery
- Cosmetics
- Make-Up
- Romance
- Arts & Culture
- Glamour
- Film
- Fashion
- Review
- Satire
- Award
- Recipe
- Food Court
- Wild Life
- Advice
हाई रिस्क प्रेग्नेंसी में फॉलोअप पर दें विशेष ध्यान
-प्रसूता की लंबाई 140 सेमी से कम हो तो बरतें सावधानी
-हीमोग्लोबिन सात प्रतिशत से कम होने पर सतर्कता बरतें
भागलपुर, 24 जून-
सुरक्षित मातृत्व को लेकर सरकार तमाम तरह के कार्यक्रम चला रही है। इसे लेकर सरकारी अस्पतालों में तमाम तरह की सुविधाएं मौजूद हैं। इनमें सबसे महत्वपूर्ण है एएनसी जांच। एएनसी जांच में प्रसूताओं को जो सुझाव दिया जाता है, उसका पालन हो रहा है या नहीं इसे जानना बहुत जरूरी हो जाता है। इसके लिए फॉलोअप जरूरी है। खासकर हाई रिस्क प्रेग्नेंसी में। हाई रिस्क प्रेग्नेंसी में अगर ठीक से फॉलोअप नहीं किया जाता है तो जोखिम बढ़ जाता है। सदर अस्पताल के प्रभारी डॉ. राजू कहते हैं कि हाई रिस्क प्रेग्नेंसी की कुछ कैटेगरी होती है। जैसे कि प्रसूता की ऊंचाई 140 सेंटीमीटर से कम हो या पहले कभी ऑपरेशन हुआ हो या फिर जुड़वां बच्चा पैदा होने वाला हो। इससे भी ज्यादा वैसी प्रसूता जो एनीमिक हैं, उन्हें विशेष सावधानी बरतनी पड़ती है। अगर प्रसूता के हीमोग्लोबिन सात ग्राम से कम हो तो उसे फॉलोअप पर विशेष ध्यान देना चाहिए। ऐसी प्रसूति को गर्भावस्था के तीन महीने के बाद दोनों स आयरन की गोली लेनी चाहिए। इससे जच्चा और बच्चा दोनों स्वस्थ रहेगा।
प्रसव पूर्व जांच जरूरी: डॉ. राजू ने बताया कि शिशु-मृत्यु दर में कमी के लिए बेहतर प्रसव एवं उचित स्वास्थ्य प्रबंधन जरूरी है। प्रसव पूर्व जांच से ही गर्भस्थ शिशु के स्वास्थ्य की सही जानकारी मिलती है। गर्भावस्था में बेहतर शिशु विकास एवं प्रसव के दौरान होने वाली रक्तस्राव के प्रबंधन के लिए महिलाओं में पर्याप्त मात्रा में खून होना आवश्यक होता है। इसमें प्रसव पूर्व जांच महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। एनीमिया प्रबंधन के लिए प्रसव पूर्व जांच के प्रति महिलाओं की जागरूकता ना सिर्फ एनीमिया रोकथाम में सहायक होती है, बल्कि सुरक्षित मातृत्व की आधारशिला भी तैयार करती है। ऐसे में प्रसव पूर्व जांच की महत्ता और अधिक बढ़ जाती है। यह मातृ एवं शिशु-मृत्यु दर में कमी लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
हर माह की नौ तारीख को होती है मुफ्त जांच: डॉ. राजू ने कहा कि सुरक्षित मातृत्व के लिए प्रसव पूर्व जांच हर माह की नौ तारीख को सभी सरकारी अस्पतालों में प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान के तहत मुफ्त में की जाती है। इसके अलावा स्वास्थ्य विभाग द्वारा विभिन्न कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं। ग्राम स्वास्थ्य, स्वच्छता एवं पोषण दिवस आदि कार्यक्रम के माध्यम से एनीमिक गर्भवती महिलाओं की जांच की जा रही है। साथ ही सामुदायिक स्तर पर गर्भवती महिलाओं को बेहतर खान-पान के बारे में भी जानकारी दी जा रही है। इसके साथ ही अधिक से अधिक गर्भवती माताओं के प्रसव पूर्व जांच सुनिश्चित कराने पर बल दिया जा रहा है। गर्भवती महिलाओं की चारों प्रसव पूर्व जांच माता एवं उसके गर्भस्थ शिशु की स्थिति स्पष्ट करती है और संभावित जटिलताओं का पता चलता है। लक्षणों के मुताबिक जरूरी चिकित्सकीय प्रबंधन किया जाता है ताकि माता और उसके शिशु दोनों स्वस्थ रहें।
रिपोर्टर
The Reporter specializes in covering a news beat, produces daily news for Aaple Rajya News
Dr. Rajesh Kumar