मरीजों को 2025 तक टीबी उन्मूलन का दिलाया संकल्प

-मरीजों को दवा और सहायता राशि के बारे में भी दी गई जानकारी

-गोराडीह पीएचसी में टीबी केयर एंड सपोर्ट ग्रुप की बैठक आयोजित


भागलपुर, 28 जून 


राष्ट्रीय टीबी उन्मूलन कार्यक्रम के तहत मंगलवार को प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (पीएचसी) गोराडीह में कर्नाटका हेल्थ प्रमोशनल ट्रस्ट (केएचपीटी) के सहयोग से केयर एंड सपोर्ट ग्रुप की बैठक की गई। बैठक में टीबी मरीजों ने अपने-अपने अनुभवों को साझा किया। इस दौरान चिकित्सा पदाधिकारी डॉ. फिरोज आलम, डॉ. चंदन कुमार, प्रखंड स्वास्थ्य प्रबंधक मो. राशिद मंजूर, वरीय यक्ष्मा पर्यवेक्षक मुरारी कुमार ने रोगियों को 2025 तक सरकार के निर्धारित लक्ष्य टीबी उन्मूलन का संकल्प दिलाया। बैठक में स्वास्थ्य प्रशिक्षक प्रवेश पासवान, प्रयोगशाला प्रावैधिक मनीष कुमार और जिला मूल्यांकन व अनुश्रवक कृष्णा कुमारी और दीपक कुमार ने भी टीबी के लक्षणों, उपचार, पोषण सहायता राशि के विषय में और दवा का पूर्ण कोर्स करने संबंधित जानकारी दी।

इस दौरान डॉ. फिरोज आलम ने बताया कि किसी व्यक्ति को लगातार दो हफ्ते या उससे ज्यादा समय तक खांसी, बलगम के साथ खून का आना, शाम को बुखार आना या वजन कम होना की शिकायत हो तो उसे तुरंत नजदीक के सरकारी अस्पताल में ले जाकर जांच कराने की सलाह दें। ये टीबी के लक्षण हैं। साथ ही उन्हें यह भी बताएं कि सरकारी अस्पताल में टीबी की जांच और इलाज पूरी तरह मुफ्त है। लोगों को जागरूक कर ही टीबी बीमारी को समाज से मुक्त कर सकते हैं। वहीं, उन्होंने बताया कि टीबी के अधिकतर मामले घनी आबादी वाले इलाके में पाए जाते हैं। वहां पर गरीबी रहती है। लोगों को सही आहार नहीं मिल पाता और वह टीबी की चपेट में आ जाते हैं। इसलिए हमलोग घनी आबादी वाले इलाके में लगातार जागरूकता अभियान चला रहे हैं। लोगों को बचाव की जानकारी दे रहे हैं और साथ में सही पोषण लेने के लिए भी जागरूक कर रहे हैं। 

बीच में दवा नहीं छोड़ेः वहीं डॉ. चंदन कुमार ने बताया कि टीबी की दवा आमतौर पर छह महीने तक चलती है। कुछ पहले भी ठीक हो जाते और कुछ लोगों को थोड़ा अधिक समय भी लगता है। इसलिए जब तक टीबी की बीमारी पूरी तरह ठीक नहीं हो जाए, तब तक दवा का सेवन छोड़ना नहीं चाहिए। बीच में दवा छोड़ने से एमडीआर टीबी होने का खतरा बढ़ जाता है। अगर कोई एमडीआर टीबी की चपेट में आ जाता है तो उसे ठीक होने में डेढ़ से दो साल लग जाते हैं। इसलिए टीबी की दवा बीच में नहीं छोड़ें। जब तक आप पूरी तरह से ठीक नहीं हो जाते हैं तब तक दवा खाते रहें।

भोजन के लिए मरीजों के मिलते हैं पैसेः केएचपीटी की डिस्ट्रिकिट टीम लीडर आरती झा ने बताया कि टीबी उन्मूलन को लेकर सरकार गंभीर है। इसीलिए टीबी की जांच से लेकर इलाज तक की सुविधा मुफ्त है। साथ ही पौष्टिक भोजन करने के लिए टीबी मरीज को पांच सौ रुपये महीने छह महीने तक मिलता भी है। इसलिए अगर कोई आर्थिक तौर पर कमजोर भी है और उसमें टीबी के लक्षण दिखे तो उसे घबराना नहीं चाहिए। नजदीकी सरकारी अस्पताल में जाकर जांच करानी चाहिए। दो सप्ताह तक लगातार खांसी होना या खांसी में खून निकलने जैसे लक्षण दिखे तो तत्काल सरकारी अस्पताल जाना चाहिए।

रिपोर्टर

  • Dr. Rajesh Kumar
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