माहवारी के दौरान सफाई के प्रति रहें जागरूक

• सफाई का ध्यान नहीं रखने से हो सकती है कई तरह की बीमारियाँ 

• माहवारी के प्रति समाजिक धारणा को दूर करना बड़ी चुनौती

 

भागलपुर,- 

आज गुरुवार को मासिक धर्म स्वच्छता दिवस मनाया जा रहा है। इसका उद्देश्य महिलाओं को मासिक धर्म के प्रति सफाई को लेकर जागरूक करना है। अभी दुनियाभर में कोरोना का कहर है। ऐसे में इसके प्रति विशेष तौर पर सतर्क रहने की जरूरत है। महामारी के कारण माहवारी नहीं रूकती. इसलिए इस संवेदनशील मुद्दे पर जागरूकता बढ़ाने की अधिक जरूरत है. 

 

माहवारी के दौरान स्वच्छता का रखें ध्यान:

 

महिलाओं को 28 दिनों के भीतर मासिक धर्म होता है। इस वजह से इस दिवस को मनाने के लिए 28 तारीख को चुना गया है। इस दिवस पर मासिक धर्म के प्रति हमें समाज में फैली धारणाओं को दूर करना और महिलाओं को इसके बारे में जानकारी देना बहुत ही महत्वपूर्ण हो जाता है। स्त्री रोग विशेषज्ञ इंदु सिंह कहती हैं मासिक धर्म को माहवारी, रजोधर्म, एमसी या पीरियड्स के नाम से भी जाना जाता है। इस दौरान सफाई का ध्यान रखना बहुत जरूरी है। ऐसा नहीं करने से बैक्टीरियल और फंगल इंफेक्शन की आशंका रहती है। सामान्य तौर पर मासिक धर्म की शुरुआत 11 से 13 वर्ष की उम्र में शुरू होती है। किसी लड़की को किस उम्र में मासिक धर्म शुरू होगा, यह कई बातों पर निर्भर करता है। जैसे कि लड़की के जीन (Gene) की रचना, खान-पान, काम करने का तरीका व वह जिस जगह पर रहती है। मासिक धर्म 28 से 35 दिनों के अंतराल पर नियमित तौर पर होता रहता है जो 45 से 50 वर्ष की उम्र तक जारी रहता है। कुछ लड़कियों या महिलाओं को माहवारी तीन से पांच दिन तक रहती है तो कुछ को दो से सात दिनों तक।

 

सामाजिक स्तर पर जागरूकता की जरूरत: 

 

भारत में माहवारी और महिलाओं की सेहत से जुड़े विषयों पर खुलकर बात नहीं की जाती है। कई महिलाओं को माहवारी के दिनों में होने वाले भेदभाव का सामना करना पड़ता है। ग्रामीण और कामकाजी महिलाओं को इसके प्रति जागरूक करने की बहुत आवश्यकता है। महिलाओं की समस्याओं को लेकर अभी भी सामाजिक स्तर पर खुलकर बातें नहीं होती हैं। यहां तक कि महिलाओं की समस्याओं को भी पुरुषों के नजरिये से देखा जाता है। समाज में इसे आज भी महिलाओं के पवित्रता व अपवित्रता जैसे मुद्दों से जोड़कर देखा जाता है। इस दौरान महिलाओं को कई घरेलू कार्यों जैसे खाना बनाने, पूजा करने, समारोहों में भाग लेने आदि में मनाही होती है। ऐसे में समाज में जागरूकता लाकर इन बातों पर रोक लगाना बहुत ही जरूरी है।

 

घर के बाहर जहां-तहां नहीं फेंकें पैड: 

 

ग्रामीण क्षेत्रों में महिलायें जिस सेनेटरी पैड या कपड़े का इस्तेमाल करती हैं उसे शर्म या लज्जा के कारण घर पर रखे डस्टबिन में नहीं फेंकती हैं। चोरी-छुपे घर के बाहर जहां-तहां फेंक देती हैं। इससे कई तरह की बीमारियों के फैलने का डर रहता है। साथ ही साथ पर्यावरण भी प्रदूषित होता है। कई बार तो यह भी देखा जाता है कि ग्रामीण क्षेत्र की महिलाएं या युवतियां पैड के बदले पुराने कपड़े का इस्तेमाल करती हैं, जो कि साफ नहीं रहता है। इस वजह से कुछ लोग कई बीमारी की भी शिकार हो जाती हैं।

 

आंगनबाड़ी कार्यकर्ता और आशा कर रहीं जागरूक:

 

मासिक धर्म के प्रति जागरूकता लाने के लिए आंगनबाड़ी कार्यकर्ता और आशा ग्रामीण क्षेत्रों में बहुत काम कर रही हैं। हालांकि अभी सभी लोग कोरोना की रोकथाम के कार्य में लगे हुए हैं, इसके बावजूद वे ग्रामीण महिलाओं को माहवारी के दौरान स्वच्छता के प्रति जागरूक कर रहू हैं।

रिपोर्टर

  • Film Fair (Admin)
    Film Fair (Admin)

    The Reporter specializes in covering a news beat, produces daily news for Aaple Rajya News

    Film Fair (Admin)

संबंधित पोस्ट