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10 से 19 वर्ष तक के किशोर एवं किशोरियाँ को लाभ
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- Jun 16, 2020
- 2057 views
विफ़्स कार्यक्रम के तहत किशोर स्वास्थ्य पर है नज़र
सप्ताह में एक नीली गोली से किशोरियाँ में नहीं होगी ख़ून की कमी
लखीसराय/ 15 जून :
वैश्विक महामारी कोरोना संक्रमण के बीच किशोर-किशोरियों के स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए किशोर स्वास्थ्य सेवाओं को फिर से शुरू करने का फैसला लिया है। जिसमे सरकार द्वारा साप्ताहिक आयरन फॉलिक एसिड अनुपूरण कार्यक्रम की शुरुआत की गयी है। जिसके तहत 10 से 19 वर्ष तक के किशोर एवं किशोरियों को सप्ताह में आयरन की एक नीली गोली वितरित करने का प्रावधान किया गया है। किशोरावस्था स्वस्थ जीवन की बुनियाद होती है। इस दौरान बेहतर शारीरिक एवं मानसिक विकास से स्वस्थ जीवन की आधारशिला तैयार होती है। किशोरियों में खून की कमी भविष्य में सुरक्षित मातृत्व के लिए ख़तरनाक साबित होती है।
ड्यू लिस्ट के तहत दी जा रही दवा: जिले में 10 वर्ष से लेकर 19 वर्ष तक के सभी किशोर एवं किशोरियों को सप्ताह में एक बार बुधवार को आयरन की एक गोली खिलाने का लक्ष्य निर्धारित है। जिले के सभी स्कूलों एवं आंगनबाड़ी केन्द्रों पर किशोर एवं किशोरियों को सप्ताह में एक बार को आयरन की एक नीली गोली वितरित की जा रही है। इसके लिए एएनएम, आशा एवं आंगनबाड़ी सेविकाओं को किशोर एवं किशोरियों की ड्यू लिस्ट तैयार करने की ज़िम्मेदारी दी गयी है। जो किशोरियां स्कूल नहीं जा पाती हैं उन्हें भी संबंधित आंगनबाड़ी केंद्र पर सप्ताह में एक आयरन की गोली सेवन के लिए दी जा रही है।
लक्षित समूह:
• स्कूल जानेवाले सभी किशोर व किशोरी जो की छठी कक्षा से लेकर बारहवीं कक्षा के बीच हों.
• सभी बच्चे जो 10 वर्ष से 19 वर्ष की आयु के बीच हों.
• ऐसी किशोरी जो की स्कूल नहीं जाती हो.
एनीमिया मुक्त भारत में सहयोग: राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण 4 के अनुसार जिले की 62.1 प्रतिशत किशोरियाँ एवं महिलाएं रक्त अल्पता की शिकार हैं। हालाँकि एनीमिया के खिलाफ सरकार युद्धस्तर पर कार्य कर रही है। इसके लिए सरकार द्वारा पोषण अभियान की भी शुरुआत की गयी है, जिसके तहत वर्ष 2022 तक एनीमिया में 9 प्रतिशत की कमी लाने का लक्ष्य रखा गया है। साथ ही इस वर्ष भारत सरकार द्वारा एनीमिया मुक्त भारत अभियान की भी शुरुआत की गयी है। सरकार द्वारा एनीमिया के खिलाफ़ छेड़ी गयी जंग के कारण साप्ताहिक साप्ताहिक आयरन फॉलिक एसिड अनुपूरण कार्यक्रम में भी तेजी देखने को मिल रही है।
व्यवहार परिवर्तन पर ज़ोर: सिविलसर्जन डॉ आत्मनन्द राय ने बताया एनीमिया का मुख्य कारण समुदाय में इसको लेकर जागरूकता की कमी है। लोगों के व्यवहार परिवर्तन के लिए सामुदायिक स्तर पर अनेकों प्रयास भी किए जा रहे हैं। किशोरियों में खून की कमी गंभीर स्वास्थ्य समस्याएँ खड़ी करती है। किशोरी ही भविष्य में माँ बनती है। इसलिए किशोरावस्था में उनका बेहतर स्वास्थ्य सुखद एवं स्वस्थ मातृत्व के लिए जरूरी हो जाता है। विफ़्स कार्यक्रम के तहत इस समस्या को दूर करने की अच्छी पहल की गयी है।
आयरन की कमी गंभीर समस्याओं का संकेत: शरीर में आयरन की कमी से कई गंभीर समयाएँ उत्पन्न होती है।
सम्पूर्ण मानसिक एवं शारीरिक विकास में बाधा
रोग प्रतिरोध क्षमता में कमी के कारण संक्रमण फैलने का अधिक ख़तरा
मातृ एवं शिशु मृत्यु दर में बढ़ोतरी
प्रसव के दौरान स्वास्थ्य जटिलताओं में वृद्धिसप्ताह में एक नीली गोली से किशोरियाँ में नहीं होगी ख़ून की कमी
रिपोर्टर
The Reporter specializes in covering a news beat, produces daily news for Aaple Rajya News
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