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सही प्रबंधन बचाएगा डायरिया के प्रकोप से
- by
- Jul 22, 2020
- 2463 views
करोना काल में रखें अपना और बच्चों का ख्याल
निर्जलीकरण (डिहाइड्रेशन) की स्थिति साबित हो सकती है जानलेवा
लखीसराय -
हम ही नहीं बल्कि पूरा स्वास्थ्य विभाग अभी कोरोना संक्रमण के दंस को झेल रहा है। इस संक्रमण ने सारी व्यवस्थाएँ को ही बदल डाली है .इस समय अगर हम घर पे रहकर ही अपना एवं परिवार के पोषण का कुछ ख्याल रखें तो हमे अस्पताल जाने से राहत मिल सकती है. क्योंकि बदलते मौसम में डायरिया होने की संभावना अधिक बढ़ जाती है। डायरिया के कारण अत्यधिक निर्जलीकरण(डिहाइड्रेशन)होने से समस्याएँ बढ़ जाती है एवं कुशल प्रबंधन के अभाव में यह जानलेवा भी हो जाता है। शिशु मृत्यु दर के कारणों में डायरिया भी एक प्रमुख कारण है। इसके लिए डायरिया के लक्षणों के प्रति सतर्कता एवं सही समय पर उचित प्रबंधन कर बच्चों को डायरिया जैसे गंभीर रोग से आसानी से सुरक्षित किया जा सकता है।
नियमित स्तनपान से शिशु का डायरिया से होता है बचाव: जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी ने बताया शिशुओं को डायरिया से बचाने के लिए नियमित स्तनपान पर अधिक जोर देने की जरूरत है। 6 माह तक सिर्फ स्तनपान कराने से शिशु का डायरिया एवं निमोनिया जैसे गंभीर रोगों से बचाव होता है। गंभीर स्थिति में अविलम्ब मरीज को डॉक्टर के पास ले जाएँ तथा उचित उपचार कराएँ। उन्होंने बताया नीम हकीम द्वारा बताये गए उपायों से बचना चाहिए तथा ऐसी स्थिति में चिकित्सीय सलाह लेनी चाहिए। और भोजन बनाने और खाने समय साफ़ सफाई रखने के अलावा शुद्ध जल का सेवन अनिवार्य है। साथ ही ओआरएस एवं जिंक घोल निर्जलीकरण से वचाव करता है। हमेशा ओआरस एवं जिंक की गोली रखें .
शरीर में पानी की नहीं होने दें कमी: जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी कहते हैं बारिश के मौसम में डायरिया का खतरा सबसे अधिक रहता है। दस्त के कारण पानी के साथ जरूरी एल्क्ट्रोलाइट्स (सोडियम, पोटैशियम,क्लोराइड एवं बाईकार्बोनेट) का तेजी से ह्रास होता है। बच्चों में इसकी कमी को दूरर करने के लिए ओरल रीहाइड्रेशन सलूलन (ओआरएस) एवं जिंक घोल दिया जाता है। विश्व स्वास्थ संगठन के अनुसार बच्चों में 24 घंटे के दौरान तीन या उससे अधिकबार पानी जैसा दस्त आना डायरिया है। शरीर में पानी की कमी से यह बीमारी होती है। इसलिए बच्चों को इससे बचाने के लिए सजग रहना चाहिए। इस बात का ध्यान देते रहना चाहिए कि बच्चों में पानी की कमी नहीं हो। यदि संभव हो तो ओआरएस का घोल नियमित तौर पर बच्चे को देना चाहिए।
जागरूकता से बचाव संभव : जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी ने बताया जागरूकता से डायरिया की रोकथाम की जा सकती है। अक्सर यह बीमारी बरसात के समय या फिर अत्यधिक गंदगी से होती है। डायरिया के चलते पेट के निचले हिस्से में दर्द, पेट में मरोड़, उल्टी आना, बुखार और शरीर में कमजोरी हो जाती है। इसके लिए लोगों को खाने से पूर्व हाथ जरुर साफ़ करना चाहिए एवं ताजा खाने का ही सेवन करना चाहिए। साथ ही साफ़ पानी एवं ताजे फ़ल एवं सब्जी का सेवन डायरिया से बचाव करने में सहायक होते हैं।
डायरिया से वचाव के घरेलू उपाय :
एक गिलास पानी में दो चम्मच चीनी के साथ एक चम्मच नमक और नींबू का रस मिलाकर पिलाऐ, तुरंत आराम मिल जाएगा।
नारियल पानी:-डायरिया की समस्या में नारियल का पानी बहुत फायदेमंद होता है।नारियल पानी में मौजूद पोशक तत्व शरीर की कमजोरी को भी दूर करता है।
पानी में सौंफ का चूर्ण मिलकर बच्चों को पिलाने से दस्त की समस्या दूर होती है।
अनार के छिलके को सूखाकर अच्छे से पीस लें। इसके बाद इस चूर्ण को शहद में मिलाकर बच्चे को दिन में तीन से चार बार दें।
डायरिया में होने वाले डिहाइड्रेशन से बचने के लिए ज्यादा से ज्यादा तरल पदार्थ लें। अगर उलटियां भी हो रही हैं तो एकबार में अधिक पानी पीने के बजाय थोड़ी-थोड़ी देर में पानी पिलाते रहें।
इस दौरान बच्चे को आराम और पर्याप्त नींद लेने से भी राहत मिलेगी।
मसालेदार खाने से परहेज रखें।
रिपोर्टर
The Reporter specializes in covering a news beat, produces daily news for Aaple Rajya News
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