निक्षय पोषण योजना के तहत लाभुकों तक भेजे गए 12 करोड़ रुपये

 
 
-टीबी रोकथाम के लिए 19 जिलों में पेशेंट प्रोवाइडर सपोर्ट एंजेंसी
 
-जांच व इलाज के लिए राज्य में 6 नोडल ड्रग रेसिटेंट टीबी सेंटर 
 
पटना: 24 मार्च को विश्व टीबी दिवस है.  टीबी रोकथाम की दिशा में बिहार का भी प्रयास उल्लेखनीय है.
 
सभी जिलों में टीबी फोरम की स्थापना:
 
राज्य में निक्षय पोषण योजना के तहत साल 2021 में 64 हजार 275 टीबी के मरीजों को पोषण प्रोत्साहन राशि के रूप में 12 करोड़ रुपये उनके खाते में भेजे गये. टीबी की रोकथाम व इसके प्रति जागरूकता लाने के लिए राज्य के 38 जिलों में टीबी फोरम का गठन किया गया है. वहीं इस वर्ष के दौरान सरकारी स्वास्थ्य केंद्रों पर 61 हजार 916 मरीज निक्षय पोर्टल पर अधिसूचित किये गये. जबकि निजी स्वास्थ्य संस्थानों में 70 हजार 229 मरीज निक्षय पोर्टल पर अधिसूचित किये गये. पूरे वर्ष के दौरान एक लाख 32 हजार 145 टीबी के मरीज निक्षय पोर्टल पर अधिसूचित किये गये. टीबी की रोकथाम को लेकर प्रधानमंत्री के 2025 तक टीबी मुक्त भारत के संकल्प को पूरा करने का गंभीर प्रयास किया गया है.  
 
राज्य में 6 नोडल ड्रग रेजिस्टेंट टीबी सेंटर: 
 
राज्य यक्ष्मा कार्यक्रम अधिकारी डॉ बीके मिश्रा ने बताया टीबी की रोकथाम के लिए ड्रग रेजिसटेंट टीबी मरीजों के उपचार की सुविधा के लिए पटना स्थित टीबी ड्रग रेजिसटेंट सेंटर तथा 37 जिला स्तर के टीबी सेंटर पर नि:शुल्क इलाज की सुविधा है. वहीं टीबी की रोकथाम के लिए 6 नोडल ड्रग रेजिसटेंट टीबी सेंटर बनाये गये हैं. इनमें पटना पीएमसीएच और आइजीआएमएस सहित जवाहरलाल नेहरू चिकित्सा महाविद्यालय भागलपुर, श्रीकृष्ण चिकित्सा महाविद्यालय अस्पताल मुजफ्फरपुर, दरभंगा चिकित्सा महाविद्यालय, दरभंगा, अनुग्रह नारायण मगध चिकित्सा महाविद्यालय अस्पताल, गया शामिल हैं. उन्होंने बताया कि 495 टीबी सर्वाइवर को प्रशिक्षण देकर टीबी चैंपियन के रूप में नामित किया गया. जिले के 14 जिलों में रोगियों को उपचार पूरा करने तथा समाज में टीबी रोगी के साथ भेदभाव या बहिष्कार कम करने के लिए टीबी चैंपियन की भूमिका महत्वपूर्ण साबित हो रही है. इनके द्वारा 9500 टीबी मरीजों को परामर्श दिया गया है. 
 
 
राष्ट्रीय यक्ष्मा उन्मूलन के तहत नि:शुल्क जांच: 
 
टीबी की रोकथाम के लिए राष्ट्रीय यक्ष्मा उन्मूलन कार्यक्रम पूरे राज्य में चलाये जा रहे हैं. इस कार्यक्रम के तहत आधुनिक डायग्नोस्टिक तकनीकों का विस्तार किया गया है. इसमें डीसीटी लैब, सीबीनेट, ट्रूनेट मशीन से टीबी की नि:शुल्क जांच की सुविधा प्रदान की गयी है. कार्यक्रम के तहत हर स्तर पर रिकॉर्डिंग रिपोर्टिंग के लिए डिजिटल माध्यमों का क्रियान्वयन, आयुष, राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम, शहरी स्वास्थ्य केंद्रों तथा हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर के साथ प्रभावी समन्वयन, सामुदायिक सहभागिता के लिए राज्य एवं जिला टीबी फोरम का गठन, ड्रग रेजिस्टेंट टीबी मरीजों के उपचार की सुविधा शामिल है. 
 
19 जिलों में पेशेंट प्रोवाइडर सपोर्ट एंजेसी: 
 
निजी क्षेत्र में उपचार पा रहे रोगियों के नोटिफिकेशन और ट्रीटमेंट को बढ़ाने के लिए 19 जिलों में मरीजों की सहायता के लिए पेशेंट प्रोवाइडर सपोर्ट एंजेंसी के साथ काम किया जा रहा है. टीबी हारेगा देश जीतेगा अभियान के तहत उच्च जोखिम वाले समूह जैसे डायबिटीज, ब्लड प्रेशर, वृद्ध, कुपोषित, शहरी मलिन बस्तियों, कारा एवं सुधारगृह तथा दूरस्थ एवं कठिन क्षेत्रों में रहने वालों के बीच टीबी की खोज कर उपचार किया जा रहा है. प्राप्त आंकड़ों के अनुसार अब तक 19 लाख छह हजार 459 लोगों का स्क्रीनिंग कर कुल 40 हजार 791 संभावित टीबी रोगियों की जांच की गयी जिसमें तीन हजार 209 टीबी के मरीज की खोज कर उपचार प्रारंभ किया गया है. 
 
तीन जिलों में चल रहा ब्रेकिंग द बेरियर प्रोग्राम:
 
टीबी की रोकथाम के लिए ब्रेकिंग द बैरियर के तहत कर्नाटक हेल्थ प्रमोशन ट्रस्ट तथा यूसऐड के सहयोग से भागलपुर, पूर्णिया और पश्चिम चंपारण जिले के में इस प्रोग्राम के तहत प्रवासी तथा शहरी आबादी के बीच रोग के प्रति व्यवहार परिवर्तन के लिए जन सहभागिता मॉडल का अध्ययन किया जा रहा है.

रिपोर्टर

  • Dr. Rajesh Kumar
    Dr. Rajesh Kumar

    The Reporter specializes in covering a news beat, produces daily news for Aaple Rajya News

    Dr. Rajesh Kumar

संबंधित पोस्ट